Cheque Transactions करते वक्त इन 6 बातों का रखें ध्यान
डिजिटल पेमेंट (digital payment) को मिले प्रोत्साहन के चलते अब लोग कैश (cash) के अलावा पेमेंट के अन्य ऑप्शंस नेट बैंकिंग (net banking), कार्ड पेमेंट (card payment), चेक (cheque), ड्राफ्ट (draft) आदि।
नई दिल्ली: डिजिटल पेमेंट (digital payment) को मिले प्रोत्साहन के चलते अब लोग कैश (cash) के अलावा पेमेंट के अन्य ऑप्शंस नेट बैंकिंग (net banking), कार्ड पेमेंट (card payment), चेक (cheque), ड्राफ्ट (draft) आदि को भी इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में अगर चेक से लेन-देन करना हो तो कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है। जल्दबाजी में चेक के साथ की गई लापरवाही नुकसान की वजह बन सकती है। इसलिए जरूरी है कि सावधानी से काम लिया जाए।
खासकर बैंकों से लेनदेन (bank transaction) के लिए चेक ट्रांजेक्शन (cheque transaction) एक महत्वपूर्ण माध्यम होता है। जी हां चेक भरते समय थोड़ी से लापरवाही से आपको भारी नुकसान हो सकता है। इस खबर में हम आपको कुछ जरूरी बातें बताने वाले हैं जिन्हें ट्रांजेक्शन करते वक्त आपको ध्यान में रखना चाहिए।
ओवर राइटिंग या कटिंग से बचें
सबसे पहले हम आपको बताना चाहेंगे कि चेक में डिटेल्स (cheque details) भरते समय ओवर राइटिंग या कटिंग (over writing or cutting) न करें। ओवर राइटिंग या कटिंग होने की स्थिति में भी बैंक चेक कैंसल (cheque canclled) कर देता है। इसके बाद भी अगर कभी चेक डिटेल्स भरते समय कोई ग़लती हो जाए, तो नया चेक भरें। वहीं दूसरी ओर चेक भरते समय इस बात का भी ध्यान रखें जो रक़म आपने शब्दों में लिखी है, अंकों में भी वही हो।अगर शब्दों और अंकों में लिखी गई रक़म अलग होगी, तो आपका चेक कैंसल हो जाएगा।
चेक में पूरी डिटेल भरें
चेक भरते समय शब्दों व फिगर्स के बीच ज़्यादा स्पेस न दें। ज़्यादा स्पेस देने से नाम और अमाउंट में छेड़छाड़ की गुंजाइश हो सकती है।
अधिकतर लोग चेक पर रक़म लिखने के बाद ( /) का साइन करना भूल जाते हैं, जिसका ख़ामियाजा उन्हें बाद में उठाना पड़ता है। चेक में अंकों में रक़म लिखने के बाद ( /) का साइन बनाना बहुत ज़रूरी होता है। वहीं शब्दों में लिखने के बाद ओनली (only) लिखें। इस ( /) संकेत का अर्थ है कि आपने जिस राशि का चेक काटा है, वह उसी तक सीमित है। इस साइन को न डालने पर कोई भी व्यक्ति रक़म की राशि को आसानी से बढ़ा सकता है।
चेक बाउंस होने पर पेनॉल्टी लग सकती
हम में से अधिकतर लोग ऐसे हैं, जो अपने बैंक अकाउंट का बैलेंस (bank account balance) देखे किए बिना ही चेक काट देते हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं, तो अपनी इस आदत को बदल दीजिए। हमेशा बैलेंस चेक करने के बाद ही किसी को चेक दें। कई बार ऐसा होता है कि आपके अकाउंट में बैलेंस कम होता है और आप ज़्यादा रक़म का चेक काट देते हैं, तो ऐसी स्थिति में चेक बाउंस (cheque bounce) हो जाता है। चेक बाउंस होने पर बैंक आपसे पेनॉल्टी (penality) वसूल करता है।
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चेक साइन बिलकुल ब्रांच रिकॉर्ड का साइन जैसा हो
जब भी आप किसी को चेक द्वारा भुगतान करें, तो उसकी डिटेल्स अपने पास ज़रूर रखें। चेक बुक के अंतिम पेज पर एक इंडेक्स (last page index) होता है, जिसमें आप चेक संबंधी डिटेल्स, जैसे- चेक नंबर, अकाउंट नंबर, रक़म और तारीख़ नोट करके रख सकते हैं। कई बार कुछ स्थितियों में जब चेक कैंसल हो जाता है, तब ये डिटेल्स बहुत काम आती हैं।
इस बात का भी विशेष तौर पर ध्यान दें कि चेक साइन करते समय ठीक वैसे ही हस्ताक्षर (signature) करें, जैसा की आपने बैंक की ब्रांच के रिकॉर्ड में किया हैं। चेक पर किया गया साइन और ब्रांच रिकॉर्ड का साइन आपस में मेल नहीं खाता है, तो भी बैंक चेक को रिजेक्ट कर देता है।
पेमेंट चेक के द्वारा ही करें
यदि आप किसी को चेक द्वारा भुगतान कर रहे हैं या फिर किसी के बैंक अकाउंट में पेमेंट करने के लिए चेक दे रहे हैं, तो चेक पर अकाउंट पेई ज़रूर लिखें। अकाउंट पेई लिखने के लिए चेक के एक कोने पर डबल क्रॉस लाइन के खींच कर A/C Payee लिखें। इस तरह से चेक का भुगतान सीधा बैंक अकाउंट में होता है और इस चेक को आप तुरंत कैश नहीं करा सकते हैं। अकाउंट पेई लिखने का सबसे बड़ा फ़ायदा यह होता है कि चेक खोने की स्थिति में कोई भी व्यक्ति इस चेक को कैश (भुना) नहीं सकता। इसलिए अगर आप किसी को भी पेमेंट करें, तो चेक द्वारा ही करें।
चेक केवल 3 महीने के लिए ही वैध
कोई भी चेक केवल 3 महीने यानी 90 दिनों तक ही वैध होता है। इसलिए अगर आपको कोई भी चेक बैंक में डिपॉज़िट करना है, तो आप उसे 90 दिनों के अंदर बैंक में जमा करा सकते हैं। 90 दिन के बाद यदि आप 91वे दिन भी बैंक में उस चेक को जमा कराएंगे, तो चेक की वैधता समाप्त हो जाएगी। इसलिए कोई भी बैंक में जमा कराना है, तो सबसे पहले उसकी तारी़ख़ देखें।