निवेशक की मौत के बाद कैसे मिल सकता है निवेश का पैसा?
यहां पर आपको बताएंगे कि निवेशक की मृत्यु के बाद निवेश का पैसा कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
निवेशक की मौत के बाद निवेश का पैसा कैसे मिल सकता है यह सवाल कई बार लोगों के द्वारा गूगल पर पूछे जाते हैं। आपको बता दें कि अगर किसी भी योजना का लॉक-इन पीरियड पूरा होने से पहले से निवेशक की मौत हो जाए तो पैसा निकालने के लिए अलग-अलग नियम हैं। तो अगर आपके किसी खास व्यक्ति ने यहां पर बताई जा रही कुछ योजनाओं में पैसा निवेश किया था और किसी कारण वस से उसकी मृत्यु इस दौरान हो जाती है तो कुछ इस तरह से आप पैसे निकाल सकते हैं।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
बचत योजना पीपीएफ के खाते में 15 साल का लॉक-इन पीरियड होता है यदि किसी व्यक्ति ने अपने पैसे इस योजना में लगाए हैं और इसी अवधि में में खाताधारक की मौत हो जाती है तो नॉमिनी निर्धारित फॉर्म भरकर पैसा निकाल सकता है।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS)
म्यूचुअल फंड की इस स्कीम में तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है इस अवधि के पूरा होने से पहले अगर निवेशक की मौत हो जाए तो नॉमिनी पैसा निकाल सकता है। इसके लिए शर्त यह रहेगी कि यूनिट आवंटन के बाद एक साल की अवधि पूरी हो गई हो।
सरकारी बॉन्ड, कॉर्पोरेट डिपॉजिट
सरकारी बॉन्ड (GOI Bond) के मामले में बॉन्ड नॉमिनी को ट्रांसफर कर दिए जाएंगे, निवेशक की मौत हो जाने पर नॉमिनी को समय से पहले पैसे निकालने की सुविधा नहीं मिलेगी। तो वहीं कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट के मामले में सब कुछ इश्यू की शर्त पर निर्भर करता है। कंपनी अगर चाहे तो वह पैसा जमा करने वाले व्यक्ति की मौत हो जाने पर पैसा निकालने की इजाजत दे सकती है।
बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट योजना
बैंकों की पांच साल की टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम में निवेशक की मौत हो जाने पर नॉमिनी लॉक-इन पीरियड के दौरान भी पैसा निकाल सकता है।
जरुरी दस्तावेज
ज्यादातर मामलों में नॉमिनी को पैसा निकालने के लिए निर्धारित फॉर्म भरना जरुरी है। इसके साथ ही मृत्यु प्रमाणपत्र, निवेश से जुड़े पेपर्स, लेटर्स ऑफ इंडेमिटी, दावा करने वाले का शपथपत्र, प्रशासन का सक्सेशन सर्टिफिकेट और वसीयत के प्रोवेट की अटेस्टेड कॉपी लगानी पड़ेगी।
यह भी रखें ध्यान
- हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के कर्ता की मौत होने पर PPF अकाउंट नए कर्ता के पास चला जाएगा।
- नॉमिनी की भूमिका ट्रस्टी की होगी, उसे पैसा वैद्य उत्तराधिकारियों के बीच बांटना होगा।