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TDS रिफंड के लिए क्‍लेम कैसे करें?

यहां पर आपको बताएंगे कि आय स्त्रोतों पर कर कटौती (टीडीएस) क्‍या है और TDS रिफंड के लिए क्‍लेम किस तरह से किया जाता है।

By Arunima Kumari (lekhaka)
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टीडीएस (TDS) वो रकम होती है जो आपके वेतन से टैक्स के तौर पर काटी जाती है। टैक्स की यह रकम आपके ऑर्गेनाइजेशन या कंपनी के द्वारा काटी जाती है। ज्यादातर, प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कर्मचारी द्वारा घोषित कर अनुमानों के आधार पर हर महीने टीडीएस काटा जाता है।

TDS निम्नलिखित 5 चीजों को सुविधाजनक बनाता है-

  • करों की वसूली को नियंत्रित करना।
  • सरकार को नियमित आय सुनिश्चित करना।
  • एक बार में कर भुगतान के बोझ को कम करता है और पूरे कर को कई महीनों में बांटता है, जिससे करदाताओं को आसानी होती है।
  • करदाता को कर भुगतान के लिये एक सुविधाजनक तरीका देता है।
  • आयकर विभाग की पहुंच के बिना कर वसूली को बढ़ाने में मदद करता है।

टीडीएस रिफंड क्या है?

टीडीएस रिफंड क्या है?

कई बार यह देखा जाता है कि वित्तीय वर्ष की शुरुआत के दौरान घोषित किए गए निवेश अनुमान उस वर्ष के अंत में किए गए वास्तविक निवेश से मेल नहीं खाते हैं। यदि वित्तीय वर्ष के अंत में कटौती किए गए कुल टैक्‍स और आयकर भुगतान राशि उस वर्ष के लिए मेल नहीं खाते हैं तो टीडीएस रिफंड की स्थिति पैदा होती है। 

टीडीएस रिफंड के लिए उदाहरण:
मान लीजिए, संदीप नाम का कोई व्यक्ति बैंगलुरु के एक मल्टीनेशनल कंपनी (MNC) में काम करता है। पिछले साल सेक्शन 80C के तहत एलआईसी प्रीमियम छूट के लिए उसे दस्तावेज जमा करने में देर हो गई। नतीजन, उसकी कंपनी टीडीएस के रूप में 10,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती करेगी।

वर्ष 2013-2014 के लिए संदीप द्वारा देय कुल कर = 30,000 रुपये

संदीप के वेतन से की गई कर कटौती = 40,000 रुपये

टैक्स रिफंड के लिये संदीप की पात्रता = 40,000 रुपये - 30,000 = 10,000 रुपये

पिछले साल के लिए चुकाया गया संदीप का कुल आयकर 30,000 रुपये हो गया था, जबकि वास्तव में यह केवल 20,000 रुपये होना चाहिए था। उन्हें अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा क्योंकि उन्होंने समय पर LIC प्रीमियम रसीद नहीं जमा की।

इसी प्रकार, अरुण अपने नियोक्ता द्वारा निर्धारित समयसीमा के भीतर 40,000 रुपये का निवेश नहीं कर सके। वह यह तय नहीं कर सके कि दीर्घकालिक फिक्स्ड डिपॉजिट (सावधि जमा) लेना है या जीवन बीमा पॉलिसी का लाभ उठाना है। वो अपने नियोक्ता द्वारा निर्धारित कर प्रमाण सबमिशन की तारीख तक दस्तावेज नहीं जमा कर पाये, इस वजह से उन्हें वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले तय राशि का निवेश करने के बावजूद ज्यादा टैक्स का भुगतान करना पड़ा।

ये सामान्य स्थितियां हैं जिनका सामना लगभग हर वित्तीय वर्ष में बहुत से लोगों को करना पड़ता है। इस अतिरिक्त कर को वापस पाने का एक मात्र तरीका आयकर रिटर्न फाइल करना है। जितनी जल्दी आप आयकर रिटर्न फाइल करते हैं, उतनी ही तेज़ी से रिटर्न की प्रक्रिया शुरू होती है।

 

आयकर रिफंड क्या है?

आयकर रिफंड क्या है?

आयकर के अंतर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरुआत में अनुमानित निवेश राशि घोषित करनी होती है। हालांकि, कई बार कई कारणों से घोषित राशि वास्तविक निवेश राशि से मेल नहीं खाती है। यह उन वित्तीय निवेशों के कारण हो सकता है जो वित्तीय वर्ष के मध्य में शुरू होते हैं या अन्य कारकों के कारण आय में अंतर होते हैं। ऐसे मामलों में जहां व्यक्ति को वित्तीय वर्ष के लिए आवश्यकता से अधिक कर चुकाना होता है, ऐसे में सरकार आयकर रिफंड के लिए आवेदन करने का विकल्प देती है।

टीडीएस रिफंड या आयकर रिटर्न (ITR) के लिए आवेदन कैसे करें?

टीडीएस रिफंड या आयकर रिटर्न (ITR) के लिए आवेदन कैसे करें?

आयकर रिटर्न की प्रक्रिया आसान है, ऐसा करने के लिये आप सबसे पहले इस वेबसाइट - https://incometaxindiaefiling.gov.in/ पर जाएं, फिर आयकर रिटर्न के लिए वेबसाइट पर उपलब्ध फॉर्म डाउनलोड करें, फॉर्म डाउनलोड करने के लिए आपको लॉगिन या साइन-अप करना होगा। इसके बाद फॉर्म में सभी डिटेल भर कर उसे जमा (सबमिट) कर दें। विभिन्न श्रेणियों के लिए आईटीआर फॉर्म उपलब्ध हैं, आपको अपनी आय श्रेणी के अनुसार फॉर्म चुनना होगा।

आईटीआर कैसे काम करता है?

आईटीआर कैसे काम करता है?

यदि आपकी इनकम स्केल यानि कि आय का स्तर आयकर के लिए लागू नहीं है और आपकी कंपनी ने कर के रूप में कुछ निश्चित राशि काट दी है, तो आप आईटीआर फॉर्म भरकर उस राशि को वापस पा सकते हैं। आईटीआर ऐसी स्थिति में भी लागू होता है जहां आपने आवश्यक कर राशि से अधिक भुगतान किया हो। आपके द्वारा दिये गए ब्यौरे के आधार पर,आयकर विभाग कर योग्य राशि की गणना और समीक्षा करेगा। यदि आप रिफंड के लिए योग्य होंगे, तो ये राशि सीधे आपके बैंक अकाउंट में आ जाएगी या फिर आपके नाम का चेक मिलेगा।

यदि रिफंड होने वाली राशि आपके कुल कर राशि के 10% से अधिक है तो आप अपनी आईटीआर राशि पर 6% ब्याज पाने के योग्य होंगे।

 

ITR प्राप्त करने में देरी के बारे में शिकायत करने की प्रक्रिया

ITR प्राप्त करने में देरी के बारे में शिकायत करने की प्रक्रिया

आईटीआर के लिए आवेदन करने के बाद भी, अगर आपको रिफंड नहीं मिला है या रिफंड की राशि मिलने में देर हो रही है, तो आप शिकायत दर्ज करने के लिए अपने आयकर अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। आपको सभी आवश्यक विवरण और दस्तावेजों के साथ लिखित रूप में अपने आयकर अधिकारी से संपर्क करना होगा।

अगर आपको उस मामले के लिए कोई जवाब या संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो आप निम्नलिखित विवरणों के साथ आयकर लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं-

 

  • आपका पैन
  • फॉर्म 16
  • बैंक स्टेटमेंट
  • आपके बैंक द्वारा जारी टीडीएस प्रमाण पत्र
  • वो सभी दस्तावेज जो निवेश और आय दिखाते हैं

 

 

ई-फाइलिंग टीडीएस

ई-फाइलिंग टीडीएस

ई-फाइलिंग प्रक्रिया शुरू करने के लिए, आपको आयकर विभाग की वेबसाइट https://incometaxindiaefiling.gov.in/ पर लॉगिन या रजिस्टर (पंजीकरण) करना होगा। एक बार पंजीकरण करने के बाद, आप उपयुक्त फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं और इसे पूरी तरह से भर कर वापस अपलोड कर सकते हैं या आप सीधे ऑनलाइन डिटेल (विवरण) भी भर सकते हैं।

आईटीआर -1 फॉर्म: लॉटरी को छोड़कर संपत्ति, अन्य स्रोतों से वेतन, पेंशन, या आय अर्जित करने वाले व्यक्तियों के लिए लागू होता है।

आईटीआर -2 फॉर्म: उन व्यक्तियों के लिए है जो पूंजीगत लाभ कमा रहे हैं। आईटीआर -2 ऐसी परिस्थिति के लिए भी लागू है जहां कोई पूंजीगत लाभ नहीं है, हालांकि,व्यक्ति के पास एक से अधिक घर / संपत्ति है।

पेशेवरों और व्यापार मालिकों के लिए, आईटीआर -3, आईटीआर -4, और आईटीआर -4S का इस्तेमाल किया जा सकता है।

जब आप पूरी तरह से फॉर्म भर लेंगे, तो आपको पैन, फॉर्म 16, टीडीएस प्रमाण पत्र, ब्याज विवरण, और निवेश के विवरण जैसे दस्तावेज देने होंगे। दस्तावेज़ जमा होने के बाद, आपको एक ऐक्नॉलेजमेंट नंबर (रसीद) मिलेगा।

यदि आपने डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग किया है, तो आपको कुछ और करने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन अगर आपने डिजिटल हस्ताक्षर के बिना फ़ॉर्म जमा कर दिए हैं, तो आपको आईटीआर वी (ITRV) के साथ एक ईमेल मिलेगा, जो आईटीआर के वेरिफिकेशन को पूरा करने के लिए आवश्यक है। आप या तो दस्तावेज ऑनलाइन वेरिफाई कर सकते हैं या आईटीआर वी की कॉपी आयकर विभाग को अपने हस्ताक्षर के साथ भेज सकते हैं।

 

टीडीएस रिफंड स्टेट्स (स्थिति)

टीडीएस रिफंड स्टेट्स (स्थिति)

आप इन तरीकों से टीडीएस रिफंड स्थिति की जांच कर सकते हैं:

आपके पंजीकृत ई-मेल पर एक एक्नॉलेजमेंट ई-मेल भेजा गया होगा उसके जरिए वेबसाइट https://incometaxindiaefiling.gov.in/ पर पैन कार्ड नंबर का उपयोग करके स्टेटस चेक कर सकते हैं।
टोल-फ्री नंबर 1800-4250-0025 पर सीपीसी बैंगलोर को कॉल कर भी स्टेट्स का पता लगा सकते हैं।

 

TDS रिफंड अवधि

TDS रिफंड अवधि

टीडीएस रिफंड अवधि विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। यदि आपने समय पर आईटीआर विवरण दायर किया है, तो रिफंड मिलने में तीन से छह महीने लग सकते हैं। रिफंड अवधि ई-वेरिफिकेशन को पूरा करने पर भी निर्भर करती है। यदि आपको समय पर रिफंड नहीं मिलती है, तो आप फॉर्म 16 की पुष्टि करने के लिए अपने नियोक्ता से जांच सकते हैं, अपने आयकर कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं, या लोकपाल - आयकर विभाग से भी संपर्क कर सकते हैं। आईटीआर या टीडीएस रिफंड से संबंधित अधिक जानकारी के लिए कृपया https://incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं।

टीडीएस रिफंड का दावा

टीडीएस रिफंड का दावा

यदि आपका नियोक्ता आईटी रिटर्न दाखिल करने के अनुसार लागू होने वाले कर से अधिक कर काटता है तो आप रिफंड का दावा कर सकते हैं।

जैसा कि ऊपर दिए गए उदाहरण में बताया गया है कि जब आप अपनी आईटी रिफंड दर्ज करते हैं तो नियोक्ता द्वारा चुकाए गए कर और देय वास्तविक कर के बीच विसंगति को देखा गया था। जब आप अपनी आयकर रिटर्न फाइल करते हैं, तो आपको अपने बैंक का नाम और आईएफएससी कोड देना होगा। इससे आयकर विभाग के लिए आपके द्वारा चुकाए गए अतिरिक्त कर को वापस करना आसान हो जाता है।

यदि आपकी आय टैक्स (कर) स्लैब से कम है और आपका बैंक आपके फिक्स्ड डिपॉजिट पर कर घटाता है:

यदि आपकी आय आयकर सीमा के अंतर्गत नहीं आती है और आपके बैंक ने आपके फिक्स्ड डिपॉजिट ब्याज पर कर घटाया है, तो आप कर राशि का रिफंड दो तरीकों से पा सकते हैं। पहला तरीका है कि आपको इसे अपने आईटी रिटर्न फॉर्म में घोषित करना होगा और आयकर विभाग स्वयं रिफंड की गणना कर इसे आपके बैंक अकाउंट में क्रेडिट कर देगा।

दूसरा तरीका यह है कि आपको फॉर्म 15G भरना होगा और इसे अपने बैंक में जमा करना होगा, यह बताते हुए कि आपका वेतन टैक्स स्लैब से नीचे है और इसलिए इस पर कोई कर नहीं लगाया जाना चाहिए।

यदि आप वरिष्ठ नागरिक हैं और आपका फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट है:-
वरिष्ठ नागरिकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलनेवाले ब्याज पर कर कटौती से मुक्त किया जाता है। यदि आप 60 वर्ष से अधिक आयु के हैं और आपका फिक्स्ड डिपॉजिट खाता हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैंक आपके एफडी ब्याज पर आयकर ना काटे आपको फॉर्म 15H भरकर जमा करना होगा।

वैकल्पिक रूप से, जब आप अपनी आईटी रिटर्न फाइल करते हैं तो आपको अपने बैंक खाते में रिफंड मिल सकता है। आईटी विभाग तब आपके लिए लागू कर की गणना करता है और भुगतान किए गए अतिरिक्त कर को समायोजित करता है और इसे आपके आईटी रिटर्न फॉर्म में उल्लिखित बैंक अकाउंट में वापस क्रेडिट करता है।

 

TDS रिफंड पर ब्याज

TDS रिफंड पर ब्याज

आयकर अधिनियम की धारा 200 A के तहत, यदि आयकर विभाग आपके लिए लागू कर वापसी का भुगतान करने में देर करती है, तो रिफंड की राशि पर आपको 6% प्रति वर्ष साधारण ब्याज मिलेगा। यह ब्याज किसी भी वित्तीय वर्ष के पहले महीने यानि अप्रैल से मिलना शुरू होता है। हालांकि, यदि टैक्स रिफंड एक वर्ष में देय कुल कर का 10% से कम है तो ब्याज का भुगतान नहीं किया जाता है।

टैक्स रिफंड पर मिलने वाला ब्याज भी कर योग्य है क्योंकि इसे 'अन्य स्रोतों से प्राप्त आय' के तहत माना जाता है।

 

टैक्स फाइल करने के दौरान आने वाली दिक्कतों से कैसे बचें?

टैक्स फाइल करने के दौरान आने वाली दिक्कतों से कैसे बचें?

यदि आप कुछ साधारण बातों का ख्याल रखते हैं तो आप टैक्स फाइल करने के दौरान होने वाली परेशानी से बच सकते हैं।

अपनी कर बचत योजनाओं को पहले से तैयार करें ताकि आपको आखिर समय में भागदौड़ ना करना पड़े। वित्तीय वर्ष शुरू होने के साथ ही योजना बनाना शुरू कर देना बेहतर विकल्प है। देर से कर भुगतान करने से बचें, ताकि आपको 1% ज्यादा कर ना देना पड़े।

अपने कर को स्मार्ट तरीके से मैनेज करें ताकि टीडीएस की कटौती आपके द्वारा कर भुगतान के बराबर हो। यदि आप इस तरह से अपने कर की योजना बनाते हैं तो आप रिफंड और भुगतान में देरी से बच सकते हैं।

उन सभी कर छूटों के बारे में जानें, जिनका फायदा आप उठा सकते हैं और आवश्यक होने पर उनका दावा भी करें।

 

English summary

How to Claim TDS Refund on Excess Paid or Interest?

Here you will know about the process to claim TDS refund in Hindi. You will also know the all details about TDS.
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