आपको भी मिल सकता है गैस एजेंसी का लाइसेंस, बस करना होगा ये काम
गैस कंपनियों द्वारा एक सुनहरा मौका दिया जा रहा है। जिसके तहत आप भी गैस एजेंसी खोल सकते हैं। तो अगर आप भी कोई नया बिजनेस करने की सोच रहे हैं तो शायद गैस एजेंसी का बिजनेस करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल गैस कंपनियां यह मौका दे रही हैं। ये कंपनियां अपना डिस्ट्रीब्यूटर्स नेटवर्क बढ़ाना चाह रही हैं। कंपनियों का यह लक्ष्य है कि 2019 तक 5000 नए डिस्ट्रीब्यूटर बन जाएं।
जारी हो रहे हैं नए लाइसेंस
रिर्पोट्स के अनुसार सरकार 2000 नए लाइसेंस जारी कर चुकी है, जबकि मार्च तक 3400 और लाइसेंस जारी करने की संभावना है। हाल ही में ड्रॉ के जरिए 600 आवेदकों को चुना गया है। लाइसेंस मिलने के बाद गैस एजेंसी का सेटअप करने में लगभग 1 साल का वक्त लगता है क्योंकि इसमें कई जगह से मंजूरी लेनी होती है।
तो इस तरह से खोल सकते हैं गैस एजेंसी
गैस एजेंसी खोलवाने के लिए देश की तीन सरकारी कंपनियां इंडेन, भारत गैस और एचपी विज्ञापन और नोटिफिकेशन जारी करती हैं। जिसके लिए इच्छुक व्यक्ति आवेदन कर सकता है। इन कंपनियों के विज्ञापन इनकी वेबसाइट और अखबारों सहित रोजगार समाचार पत्र में आ सकते हैं। कैंडिडेट को एक तय फॉर्मेट में अप्लाई करना होगा।
लॉटरी सिस्टम के द्वारा आएगा रिजल्ट
आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद लॉटरी सिस्टम से डिस्ट्रीब्यूटर चुना जाएगा। प्रक्रिया को ट्रांसपैरेंट बनाने के लिए ऐसा किया जाएगा। लॉटरी से चुनाव होने के बाद जिन लोगों का नाम लिस्ट में आएगा उन्हें आगे की प्रक्रिया के लिए बुलाया जाएगा। चूंकि 2019 तक 5000 डिस्ट्रीब्यूटर बनाए जाने का प्रस्ताव है इसलिए गैस एजेंसी का बिजनेस करने का यह एक सुनहरा मौका है।
ये रहेगी योग्यता
गैस एजेंसी खोलने के लिए शिक्षण योग्यता पहले तो ग्रेजुएशन थी, लेकिन अब इसे घटाकर 10वीं पास कर दिया गया है। जनरल और रेगुलर कैटेगरी में अब कम से कम 10वीं पास भी एलपीजी डीलरशिप ले सकेंगे। ऑयल कंपनियों की तरफ से जारी नई गाइडलाइंस के हिसाब से अब 60 साल की उम्र तक एजेंसी ली जा सकती है। हालांकि, पहले एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप 21 से 45 साल तक की उम्र वाले लोगों को दी जाती थी।
यह भी हुआ है बदलाव
ऑयल कंपनियों ने फैमिली यूनिट में भी बदलाव किया है। अब आवेदक के अलावा पति या पत्नी, पैरेंट्स, भाई , बहन सहित सौतेले भाई-बहन, बच्चे सहित गोद लिए बच्चे, दामाद, भाभी, सास-ससुर और दादा-दादी को लिस्ट में शामिल किया गया है। इसके पहले फैमिली यूनिट में सिर्फ आवेदक, पति-पत्नी और अविवाहित बच्चे ही आते थे। अविवाहित के मामले में पैरेंट्स, अविवाहित भाई-बहन आते हैं जबकि तलाकशुदा/विधवा के मामले में सिर्फ इंडिविजुअल और अविवाहित बच्चे आते हैं।