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OMG!तांगा चलाने वाला बुजुर्ग आज 21 करोड़ रुपए सैलरी पाता है

यहां पर आपको 94 साल के बुजुर्ग और एमडीएच मसालों के फाउंडर धर्मपाल गुलाटी की सफलता की कहानी आपको पढ़ने के लिए मिलेगी।

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यदि आप नियमित टीवी देखते हैं या किराने की दुकान पर जाते हैं तो आपने विज्ञापनों में और मसालों के पैकेट पर एक बूढ़े आदमी को जरुर देखा होगा। क्‍या आपको नहीं याद आ रहा है तो कोई बात नहीं हम आपको बताएंगे उनके बारे में। शायद आप यह भी नहीं जानते होंगे कि ये एफएमसीजी सेक्टर में 21 करोड़ रुपए की सैलरी के साथ सबसे ज्‍यादा सैलरी पाने वाले व्यक्ति हैं। तो आपको यहां पर हम उस महान बिजनेसमैन की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं जो कि शायद आपके लिए प्रेरणा स्‍वरुप हो।

कुछ अंजान तथ्य

कुछ अंजान तथ्य

हम आपको बताते हैं 94 साल के धर्मपाल गुलाटी के बारे में, जिनकी कंपनी महशियां दी हट्टी, यानि एमडीएच, जिसका रेवेन्यू 15% की ग्रोथ के साथ 924 करोड़ तक पहुंच गया है और 24% की बढ़ोतरी के साथ नेट प्रॉफ़िट 213 करोड़ हो गया है।

जी हाँ, हम एमडीएच के इन बाबा की ही बात कर रहे हैं जिन्हें आपने टीवी पर 'असली मसाले सच सच' कहते सुना है। इनकी सैलरी गोदरेज कंज़्यूमर के आदि गोदरेज और विवेक गंभीर, हिंदुस्तान यूनीलीवर के संजीव मेहता और आईटीसी के वाईसी देवेश्वर से भी ज़्यादा है।

 

गुलाटी इस पैसे का क्या करते हैं?

गुलाटी इस पैसे का क्या करते हैं?

इनकी सैलरी का 90% हिस्सा निजी चैरिटी में चला जाता है जिसमें 20 स्कूल और एक हॉस्पिटल है।

गुलाटी का साम्राज्य

गुलाटी का साम्राज्य

उनके पिता चुन्नी लाल ने 1919 में पाकिस्तान के सियालकोट में एक छोटी सी दुकान शुरु की थी और अब इनका साम्राज्य 1500 करोड़ की मसाला कंपनी और 20 स्कूल और एक हॉस्पिटल तक पहुँच चुका है।

यह फोटो गुलाटी द्वारा 1950 में करोल बाग में खोली गई इनकी पहली दुकान की है।

 

तांगा चलाने वाले से बिजनेस लीडर

तांगा चलाने वाले से बिजनेस लीडर

बंटवारे के बाद गुलाटी दिल्ली के करोल बाग आ गए थे। इन्हें अपने पिता से 1500 रुपए मिले थे, जिनमें से 650 रुपए से इन्होने एक घोडा गाड़ी यानि तांगा खरीद लिया। जल्दी ही उन्हें महसूस हुआ कि इससे उनके परिवार की ज़रुरतें पूरी नहीं होंगी और उन्होने अजमल खान रोड पर मसाला पीसने की दुकान खोल ली।

नहीं देखा पीछे मुड़कर

नहीं देखा पीछे मुड़कर

मसाला पीसने की दुकान खोलने के बाद उन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1953 में गुलाटी जी ने चाँदनी चौक में एक और दुकान खरीद ली और 1959 में कीर्ति नगर में एक प्लॉट खरीद कर अपनी पहली फैक्ट्री स्थापित की।

फोटो में, गुलाटी, अपने छोटे भाई सतपाल गुलाटी के साथ।

 

उन्होने कैसे काम किया?

उन्होने कैसे काम किया?

गुलाटी जिनका कंपनी में 80% का शेयर हैं, ये रोजाना फैक्टरीज, बाज़ार और डीलरों के पास ऑर्डर के लिए जाते थे। यहां तक कि ये रविवार की छुट्टी भी नहीं लेते थे।

सफलता की कहानी

सफलता की कहानी

एमडीएच के दुबई और लंदन में ऑफिस हैं और ये 100 से ज़्यादा देशों में निर्यात करते हैं। उनका बेटा ये काम करता है और उनकी 6 बेटियां वितरण का काम संभालती हैं।

देश और विदेशों में चलता है कारोबार

देश और विदेशों में चलता है कारोबार

कंपनी की एक बड़ी सप्लाई चेन है जिससे ये किसानों से माल खरीदने के लिए संपर्क करते हैं और इसके बाद राजस्थान और कर्नाटक से लेकर अफगानिस्तान और ईरान तक मसाले बेचते हैं। लेकिन यह सेगमेंट नए प्लेयर्स को ज़्यादा आकर्षित करती है।

मसाले

मसाले

एमडीएच के 60 से ज्‍यादा प्रोडक्टस हैं, लेकिन तीन वेरियंट्स में इनकी सेल सबसे ज्‍यादा है, ये हैं - देग्गी मिर्च, चाट मसाला और चना मसाला - इन सबके ये हर महीने एक करोड़ पैकेट बेचते हैं। वैश्विक प्रोडक्टस या बाहरी बाजार के अन्य मसालों पर इनकी नजर अभी नहीं है।

English summary

The success story of MDH founder Dharmapal Gulati

Here you will know the success story of MDH masala's founder 94-year-old school drop-out Dharmapal Gulati.
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