Success Story: सचिन से लीजिए शिखर पर बने रहने की प्रेरणा
क्रिकेट का नाम सचिन तेंदुलकर के बिना अधूर है।
क्रिकेट का नाम सचिन तेंदुलकर के बिना अधूर है। सचिन ने क्रिकेट को जो योगदान दिया है वह शायद ही कोई और दे पाए। सचिन का नाम आते ही रिकॉर्ड्स की झड़ी लग जाती है। अपने पूरे क्रिकेट करियर के दौरान सचिन ने हर चुनौती का जवाब अपने बल्ले से दिया। वह शिखर पर रहे और शिखर पर रहते हुए रिटायर हुए। सचिन ने अपने पूरे क्रिकेट करियर में बेहद शालीन बने रहे, बेहद शांत बने रहे साथ ही बेदाग रहे। सचिन के क्रिकेट करियर से हम ये प्रेरणा ले सकते हैं कि कैसे शालीन और सरल बने रहकर भी हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं और सफलता के शिखर पर अंत तक बने रह सकते हैं। सचिन का क्रिकेट करियर सिर्फ क्रिकेटर्स के लिए ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के प्रेरणा का स्रोत है जो जीवन में आगे बढ़कर सफलता के शिखर पर बने रहना चाहता है। आइए जानते हैं सचिन के जीवन के बारे में और उनकी सफलताओं के बारे में।
सारांश
विश्व के महान क्रिकटरों में गिने जाने वाले सचिन तेंदुलकर का जन्म 1973 में मुंबई में हुआ। सचिन तेंदुलकर अपनी अविश्वसनीय बल्लेबाजी के कौशल और वन-डे में अपने स्कोर के लिए जाने जाते हैं। सचिन की सफलता की इन ऊंचाईयों की बराबरी कोई भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नहीं कर पाया है और यही बात उन्हें इस खेल का एक सितारा बनाती हैं।
बचपन
सचिन तेंदुलकर का जन्म दादर, मुंबई में हुआ। उनके पिता रमेश तेंदुलकर एक मराठी उपन्यासकार थे और मां रजनी तेंदुलकर एक बीमा कंपनी में काम करती थी। उनका नाम सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा गया है जो रमेश तेंदुलकर के मनपसंद म्युज़िक डायरेक्टर थे। उनके दो अन्य भाई हैं जो उनके पिता की पहली शादी से हुई संतान हैं और एक बहन भी है।
नटखट सचिन
सचिन मुंबई में पले-बढ़े। उनके माता पिता अपेक्षाकृत मामूली और मध्यम वर्ग से थे जो सचिन को अच्छी शिक्षा देकर उनके भविष्य को उज्जवल बनाना चाहते थे। हालाँकि सचिन तेंदुलकर ने शिक्षा को एक अवसर के बजाय कर्तव्य समझा और प्रारंभिक दिनों उनकी गिनती नटखट बच्चों में होती थी। हाल ही में आई सचिन की फिल्म, सचिन ए बिलियन ड्रीम्स में भी सचिन के इस रुप को दर्शाया गया है।
क्रिकेट से पहले
सचिन प्रारंभ में टेनिस खेलते थे और जॉन मैकएन्रोए, सचिन के टेनिस आदर्श थे। वे स्कूल के अन्य बच्चों से लड़ते थे और स्कूल का स्टाफ उन्हें परेशान करने वाले बच्चे के रूप में जानता था जिसका शैक्षणिक भविष्य सीमित था। उनके शरारती व्यवहार और असीमित ऊर्जा को देखते हुए उनके भाई अजीत ने बचपन में उनका परिचय क्रिकेट से करवाया। उन्हें स्कूल का काम करना सिरदर्द लगता था और पढ़ाई लिखाई उन्हें समय की बर्बादी लगती थी। अत: युवा सचिन तेंदुलकर को तुरंत ही क्रिकेट अच्छा लगने लगा। वे एक बैट्समेन के रूप में दोस्तों के साथ और अकेले भी प्रैक्टिस करने लगे। क्रिकेट के जाने माने स्थानीय कोच रमाकांत आचरेकर का ध्यान सचिन के कौशल पर गया।
प्रारंभिक करियर
रमाकांत जी ने तुरंत सचिन की प्रतिभा को पहचान लिया और उन्होंने सलाह दी कि सचिन को नई हाई स्कूल में प्रवेश लेना चाहिए जहाँ अधिक आधुनिक क्रिकेट सिखाया जाता हो। सचिन ने उनकी सलाह को माना और कुछ दिनों बाद ही नई स्कूल में प्रवेश लिया। अंतत: उन्हें यहाँ खिलाडियों का ऐसा समूह मिला जो उन्हें चुनौती दे सकता था और उनकी कुशलता को और अधिक बढ़ा सकता था।
लक्ष्य के प्रति गंभीर
सचिन ने अपने जीवन को क्रिकेट के प्रति उस स्तर तक समर्पित कर दिया जिसकी बराबरी शायद ही कोई कर सके। स्कूल के बाद वे कई घंटे ट्रेनिंग के मैदान पर बिताते थे, अपने साथी खिलाडियों के साथ बैटिंग सिस्टम बनाते ताकि वे स्वयं को प्रोत्साहित कर सकें। वे स्टंप्स के ऊपर एक रूपये का सिक्का रखते थे और खिलाडियों को चुनौती देते थे वे उन्हें आउट करके दिखाए। यदि वे आउट हो गए तो खिलाड़ी वह सिक्का अपने पास रख सकता था। और यदि पूरे ट्रेनिंग सत्र के दौरान वे आउट नहीं हुए तो वह सिक्का वे रख लेते थे। सचिन की यह बैटिंग स्ट्रेटजी बहुत प्रभावी रही और ट्रेनिग ख़त्म होने होने के बाद जब वे स्कूल से निकलते तो उनके पास तेरह से भी अधिक सिक्के होते थे। यह उनकी योग्यता और अभिप्रेरित बैट्समेन को प्रदर्शित करता है।
अंतरराष्ट्रीय करियर
तेंदुलकर ने 1980 के आख़िरी सालों में एक पेशेवर के तौर पर क्रिकेट खेलना शुरू किया जिसमें उन्होंने भारत के बल्लेबाज़ के रूप में पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के विरुद्ध मैच खेला। मात्र सोलह वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी टीन ऐज में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेलना शुरू किया और बीस वर्ष की उम्र तक वे भारतीय क्रिकेट के स्टार बन गए।
शीर्ष क्रिकेटर के रूप में बनाई पहचान
बीसवें वर्ष के प्रारंभिक वर्षों के दौरान सचिन तेंदुलकर शीर्ष क्रिकेटर के रूप में पहचाने जाने लगे। उन्होंने 21 वर्ष की उम्र में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध वन-डे मैच में अपना पहला शतक बनाया। वर्ष 1998 में जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध रिकॉर्ड ब्रेकिंग टेन शतक बनाये तब उनका करियर चोटी पर पहुँच गया।
सचिन रिकॉर्ड तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर ने भारतीय क्रिकेट को अपने 20 वर्ष से अधिक की अपनी सेवाएं दीं। एक बैट्समेन के रूप में उन्होंने अपने लम्बे करियर में कई रिकॉर्ड्स बनाये। खेल पर टिप्पणी करने वालों के दिमाग में वे संपूर्ण क्रिकेट वर्ल्ड के प्रमुख बैट्समेन और रिकॉर्ड ब्रेकिंग प्लेयर के रूप में उभरे।
युवा खिलाड़ियों के लिए बने प्रेरणा
विश्व के जाने माने क्रिकेट खिलाडियों में शामिल सचिन तेंदुलकर उन युवा खिलाडियों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बन गए जो अपने जीवन में रास्ता ढूंढ रहे थे। सचिन को युवावस्था में ही सफलता मिल गयी और 25 वर्ष की उम्र तक वे प्रसिद्ध व्यक्ति बन गए।
कोच का मार्गदर्शन
उनके कोच द्वारा उन्हें दिए गए मार्गदर्शन और उनके काम के लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं जिसने तेंदुलकर को क्रिकेट के विश्व का सच्चा सितारा बनाया। उनके फॉक्स और रवैये को अपने दिल में उतारें और आपको भी निश्चित रूप से सफलता मिलेगी फिर चाहे वह बैटिंग की क्रीज़ हो, बिजनेस हो या किसी प्रकार की कला ही क्यों न हो।
पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन
पंच साल के प्रणय निवेदन के बाद 1995 में सचिन ने अंजलि तेंदुलकर से शादी की। अंजली बाल रोग विशेषज्ञ हैं और सचिन से 6 वर्ष बड़ी हैं। उनके पिता गुजराती बिजनेसमैन हैं और मां एक ब्रिटिश सोशल वर्कर हैं। उनके दो बच्चे अर्जुन और सारा हैं जिनका जन्म क्रमश: 1999 और 1997 में हुआ।
कीर्तिमान
- वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में 200 रन बनाये हैं।
- वे दुनिया के अकेले ऐसे बैट्समेन हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मैचों में 100 शतक बनाये हैं।
- मीरपुर में 16 फरवरी 2012 को बांग्लादेश के खिलाफ 100वां शतक।
- एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा (18,000 से अधिक) रन।
- एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा 49 शतक।
- एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय विश्व कप मुक़ाबलों में सबसे ज्यादा रन।
- टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा (51) शतक
- ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 नवम्बर 2009 को 175 रन की पारी के साथ एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 17 हजार रन पूरे करने वाले पहले बल्लेबाज बने।
- टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रनों का कीर्तिमान।
- टेस्ट क्रिकेट 13,000 रन बनने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज।
- एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा मैन ऑफ द सीरीज।
- एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा मैन ऑफ द मैच।
- अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबलो में सबसे ज्यादा 30,000 रन बनाने का कीर्तिमान।
- 1997 - इस साल के विज्डन क्रिकेटर
- 2003 - 2003 क्रिकेट विश्व कप के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट
- 2004, 2007, 2010 - आईसीसी विश्व वनडे एकादश
- 2009, 2010, 2011 - आईसीसी विश्व टेस्ट एकादश
- 2010 - खेल और कम से पीपुल्स च्वाइस अवार्ड में उत्कृष्ट उपलब्धि एशियाई पुरस्कार, लंदन में
- 2010 - विज़डन लीडिंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर
- 2010 - वर्ष के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर के लिए आईसीसी पुरस्कार, सर गारफील्ड सोबर्स ट्राफी
- 2010 - एलजी पीपुल्स च्वाइस अवार्ड
- 2010 - भारतीय वायु सेना द्वारा मानद ग्रुप कैप्टन की उपाधि
- 2011 - बीसीसीआई द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ भारतीय क्रिकेटर
- 2011 - कैस्ट्रॉल वर्ष के इंडियन क्रिकेटर
- 2012 - विज्डन इंडिया आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट पुरस्कार
- 2012 - सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (एससीजी) की मानद आजीवन सदस्यता
- 2012 - ऑस्ट्रेलिया के आदेश के मानद सदस्य, ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा दिए गए
- 2013 - भारतीय पोस्टल सर्विस ने तेंदुलकर का एक डाक टिकट जारी किया और वह मदर टेरेसा के बाद दूसरे भारतीय बने जिनके लिये ऐसा डाक टिकट उनके अपने जीवनकाल में जारी किया गया
राष्ट्रीय सम्मान
1994 - अर्जुन पुरस्कार, खेल में उनके उत्कृष्ट उपलब्धि के सम्मान में भारत सरकार द्वारा
1997-98 - राजीव गांधी खेल रत्न, खेल में उपलब्धि के लिए दिए गए भारत के सर्वोच्च सम्मान
1999 - पद्मश्री, भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार
2001 - महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार, महाराष्ट्र राज्य के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार
2008 - पद्म विभूषण, भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार
2014 - भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार
अंतरराष्ट्रीय सम्मान