कितने काम के हैं हेल्थ इंश्यारेंस के वैल्यू एडेड बेनिफिट्स
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां आपके बेस कवरेज को बढ़ाने के लिए कई तरह के वैल्यू एडेड बेनिफिट्स ऑफर करती हैं।
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां आपके बेस कवरेज को बढ़ाने के लिए कई तरह के वैल्यू एडेड बेनिफिट्स ऑफर करती हैं। वैल्यू एडेड बेनिफिट्स कई प्रकार के प्रोग्राम का ऑफर करती हैं। जिनके पीछे इनका एक मात्र उद्देश्य होता है कि लंबी अवधि में लागत कम करना।
वेलनेस प्रोग्राम
वेलनेस प्रोग्राम एक तरह के रिवॉर्ड्स प्वाइंट्स का एक सिस्टम है। आपके स्वस्थ्य रहने के बाद बीमा कंपनी ये प्वाइंट्स देती है। इन प्रोग्राम को ऑफर करने के पीछे इन कंपनियों का उद्देश्य है लंबी अवधि में अपनी लागत कम करना, क्योंकि अगर आप स्वस्थ्य रहने पर ध्यान देंगे तो कम ही क्लेम्स फाइल करने की संभावना होगी। वेलनेस प्रोग्राम्स से न केवल कस्टमर्स में हेल्दी लाइफ स्टाइल की आदत पड़ती है बल्कि इनमें आने वाले दिनों में क्लेम्स की संख्या भी घटती है। इन प्रोगाम्स से पॉलिसी होल्डर्स को फायदा भी हो सकता है।
प्वाइंट्स सिस्टम पर ध्यान दें
आईसीआईसीआई लोंबार्ड इस बात के लिए अधिकतम 100 प्वाइंट्स देती है कि आप धूम्रपान छोड़ने की खुद घोषणा करें। इसी तरह जिम, योग, मैराथॉन आदि दूसरी फिटनेस एक्टिविटीज के लिए 5000 रिवॉर्ड प्वाइंट्स प्रति बीमित व्यक्ति के लिए हैं। हर रिवॉर्ड प्वाइंट 25 पैसे के बराबर माना जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपको साल में 5000 प्वॉइंट्स मिल गए तो आपको 1250 रुपए का बेनिफिट होगा।
आयुष बेनिफिट
आयुर्वेद, योग एवं नेचुरपैथी, यूनानी और होम्योपैथी को मिलाकर आयुष शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। आयुष बेनिफिट कुछ हेल्थ इंश्यारेंस पॉलिसीज में इनबिल्ट फीचर के रुप में होता है। भारत में काफी लोगों का मानना है कि आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धतियां लंबे समय से परेशान कर रही बीमारियों के उपचार में कारगर है। यह लाभ ऐसे इलाज में उपयोगी होता है, जिनके लिए बेसिक पॉलिसी के तहत भुगतान न किया जा रहा हो।
कुछ शर्तें भी जुड़ीं हैं
इस लाभ के साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी हैं। यह कवरेज आमतौर पर एक सब-लिमिट से जुड़ा होता है, जो या तो सम इंश्योर्ड के एक पर्सेंटेज के रुप में होती है या वह अधिकतम रकम होती है। आयुष लाभ शायद ही आउट पेशेंट बेसिस पर अवलेबल होता हो, आयुष ट्रीटमेंट के लिए संबंधित व्यक्ति को अस्पताल में कम से कम 24 घंटे भर्ती होना होगा। यह इलाज भी क्वॉलिटी काउंसिल ऑफ इंडिया या नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड ऑन हेल्थ से मान्यता प्राप्त सरकारी अस्पताल में होना चाहिए।
सेकंड ओपिनियन
जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि यह बेनिफिट दूसरे डॉक्टर से सेकंड ओपिनियन लेने को कवर करता है। सेकंड ओपिनियन से इलाज के बारे में ठोस निर्णय करने में आसानी होती है। खासतौर से गंभीर बीमारियों के मामले में। अधिकतर कंपनियां इसे बिना किसी अतिरिक्त लागत के एंबेडेड बेनिफिट के रुप में देती हैं। यह ऐसे लोगों के लिए भी उपयोगी हो सकता है, जिनके परिवार में किसी बीमारी का आनुवांशिक इतिहास हो।
मेडिकल इवैकुएशन
यह बेनिफिट विदेश में मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में उपयोगी होता है। विदेश में इलाज की लागत काफी ज्यादा बैठती है। हालांकि ज्यादातर वैल्यू एडेड बेनिफट्स की तरह इसके साथ ही कुछ शर्तें हैं। उदाहरण के लिए, मैक्स बूपा अपने हार्टबीट फैमिली फर्स्ट प्लेटिनम प्लान के तहत इमरर्जेंसी मेडिकल इवैकुएशन बेनिफिट देती है। यह कवर सम इंश्योर्ड की सीमा तक अमेरिका और कनाडा को छोड़कर दुनियाभर में उपलब्ध है।
इंश्योर्ड रेस्टोरेशन
अगर ओरिजिनल अमाउंट खत्म हो जाए, तो यह बेनिफिट बेसिक सम इंश्योर्ड को फिर मुहैया कराता है। हालांकि इंडस्ट्री के आंकड़ें बताते हैं कि हेल्थ क्लेम्स शायद ही पूरी तरह से उपयोग में लाए जाते हैं। बेहतर होगा कि आप अपने कवर को बढ़ाने के लिए एक सुपर टॉप-अप प्लान खरीदें। हो सकता है कि यह तुलानात्मक रुप से कुछ ज्यादा लागत में आए, लेकिन इसमें कवरेज बेहतर मिलेगा। इससे सम इंश्योर्ड न केवल डिडक्टिबल अमाउंट की सीमा के बाद भी उपलब्ध होगा, बल्कि एक ऐसी बीमारी के लिए कवर के इस्तेमाल पर रोक भी नहीं लगाता है, जिसके लिए सम इंश्योर्ड खत्म हो चुका है।