टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करके बचाएं अपना टैक्स
जिसमें जोखिम भी शामिल हो जाता है। फिर भी अच्छे रिटर्न और कई फायदों को देखते हुए निवेश के बारे में सोचा जा सकता है।
टैक्स बचाने के लिए 31 मार्च तक निवेश किया जा सकता है। लेकिन अगर किसी ने अभी तक इसके लिए निवेश नहीं किया है, तो वह आयकर बचाने वाले म्यूचुअल फंड यानी ईएलएसएस में पैसा लगाने के बारे में विचार कर सकता है। हालांकि इसमें निवेश किए गए पैसों को शेयर बाजार में लगाया जाता है। जिसमें जोखिम भी शामिल हो जाता है। फिर भी अच्छे रिटर्न और कई फायदों को देखते हुए निवेश के बारे में सोचा जा सकता है। आयकर बचाने वाले टॉप 5 फंड्स ने पिछले 3 साल में 26 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया है।
कितना मिलता है रिटर्न
इन फंड्स में लगाए गए पैसों का निवेश शेयर बाजार में होता है। इसलिए रिटर्न भी बदलता रहता है। हालांकि लंबे समय में शेयर बाजार में निवेश फायदेमंद माना जाता है इस कारण से यह फंड ज्यादा आकार्षक हो जाते हैं। इन फंड्स में निवेश न्यूनतम 3 वर्ष के लिए जरुरी होता है। इसलिए इनका रिटर्न भी अच्छा रहता है। पिछले तीन साल का टॉप फंड का रिर्टन देखा जाए तो 26 फीसदी तक का रिटर्न मिला है। जबकि बाकी आयकर बचाने वाले सभी निवेश में 7 से लेकर 9 प्रतिशत तक ही रिटर्न मिल पाता है।
क्या है ईएलएसएस में निवेश के फायदे
आयकर बचाने के देश में जितने भी साधन मौजूद हैं, उनमें से यह तरीका सबसे कम लॉकइन पीरियड का है। यानी इस फंड में निवेश करने पर पैसा 3 साल के बाद निकाला जा सकता है। इसके अलावा जितने भी अन्य तरीके हैं उनमें आयकर बचाने वाली फिक्स डिपॉजिट 5 साल के लिए लॉकइन होती है। बांकी में पैसा लम्बे समय के लिए निवेशित रहता है। पीपीएफ में तो पैसा 15 साल बाद निकाला जा सकता है।
कैसे किया जाता है निवेश
इन योजनाओं में तीन तरह से निवेश किया जा सकता है। पहला तरीका तो किसी एजेंट के माध्यम से निवेश किया जा सकता है। दूसरा तरीका अगर किसी के पास डीमैट अकाउंट है तो उसके माध्यम से ऑनलाइन निवेश हो सकता है। लेकिन अगर निवेशक इंटरनेट का इस्तेमाल आराम से कर लेता है तो तीसरे तरीके यानी कंपनी की वेबसाइट पर जाकर सीधे भी निवेश कर सकता है। इस तरीके से निवेश करने पर निवेशक पर कई तरह के कमीशन खत्म हो जाते हैं। जिससे उसका रिटर्न बढ़ जाता है।
कितने तक किया जा सकता है निवेश
निवेशक 1.5 लाख रुपए तक का निवेश करके अधिकतम आयकर छूट का फायदा उठा सकते हैं। हलांकि ज्यादातर योजनाओं में एक बार में निवेश न्यूनतम 5000 रुपए तक किया जा सकता है। अगर कोई निवेशक हर माह निवेश का विकल्प लेना चाहे तो कई योजनाओं में हर माह 500 रुपये तक का निवेश का विकल्प भी है। म्यूचुअल फंड में हर माह निवेश के विकल्प को सिप यानी सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान कहते हैं।
निवेश में मिलता है कई तरह का विकल्प
इन फंड्स में निवेश करने वालों को ग्रोथ के अलावा डिविडेंड पे आउट का विकल्प भी मिलता है। यहां पर ध्यान देने की जरुरत है कि निवेशकों के पास डिविडेंड रिइनवेस्टमेंट का विकल्प नहीं होता है। जहां ग्रोथ विकल्प में निवेशक 3 साल के बाद पैसा निकाल सकता है वहीं डिविडेंड विकल्प में कंपनी समय-समय पर डिविडेंड दे सकती है। यह डिविडेंड निवेश के अगले दिन भी मिल सकता है।
ईएलएसएस में निवेश तीन साल के बाद निकाला जा सकता है, लेकिन निकालना जरुरी नहीं होता है। अगर किसी निवेशक को लगता है कि पैसा अच्छी तरह से बढ़ रहा है तो वह निवेशित बना रह सकता है। बाद में उसे जब भी जरुरत हो वह पूरा या उसका कुछ हिस्सा अपनी मर्जी से निकाल सकता है।
कैसे बनाएं निवेश की रणनीति
चालू वित्त वर्ष में निवेश की योजना बनाने के लिए कम समय बचा है, इसलिए अभी तो किसी एक या दो अच्छी ईएलएसएस योजना में निवेश किया जा सकता है। लेकिन अगले साल बाजार में जब भी 5 से 8 फीसदी की गिरावट दिखाई दे तो निवेश करें। गिरावट के वक्त ELSS में निवेश का मौका देखना चाहिए।
टॉप 5 टैक्स सेवर म्यूचुअल फंड
रिलायंस टैक्स सेवर (ELSS) फंड
DSP ब्लैक रॉक टैक्स सेवर फंड
बिरला सन लाइफ टैक्स रिलीफ 96
टाटा इंडिया टैक्स सेविंग्स फंड
इन्वेस्को इंडिया टैक्स प्लान