भारत में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण
भारत में सोने की कीमतों में बदलाव के कई कारक है लेकिन इनमें से दो कारक अत्यंत महत्वपूर्ण हैं - सोने का अंतरराष्ट्रीय दाम और वर्तमान उतार-चढ़ाव। भारत में सोने की कीमतों पर सबसे ज्यादा असर, अंतरराष्ट्रीय दामों का पड़ता है। चूंकि हमारे देश में सोने का उत्पादन नहीं होता है ऐसे में सोने को बाहर से आयात करना पड़ता है। इसीलिए, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कीमतों में इज़ाफा होता है तो भारत में भी इसका असर साफ दिखाई देता है।
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतों में इज़ाफा होने के भी कई कारक होते हैं; जैसे- अगर डॉलर नीचे गिरता है तो सोने की कीमतों में वृद्धि होती है।
इसी तरह, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने के दामों में निवेश के कारण भी वृद्धि होती है। यह निवेश, लोगों या उद्यमियों के द्वारा गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के माध्यम से किया जाता है। यह निवेश, इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म के जरिए किया जाता है। अगर फंड से बड़ी ऋणछूट मिलती है तो सोने की कीमतों पर प्रभाव पड़ता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें गिर जाती हैं।
इन महत्वपूर्ण कारकों के अलावा, भारत और चीन जैसे देशों में भारी खपत के कारण भी सोने की भौतिक मांग ज्यादा होने ही वजह से दामों में वृद्धि हो जाती है।
सोने की कीमतों पर प्रतिकूल नीतिगत फैसलों का असर भी पड़ सकता है। उदाहरण के लिए- भारत सरकार ने सोने पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है।
उपरोक्त सभी कारणों की वजह से भारत में सोने की कीमतों में इज़ाफा हुआ है, जिसकी वजह से खपत पर भारी असर पड़ा है। भारत ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ये कारक काफी प्रभाव डालते हैं।
रूपया और सोने की कीमतें
सोने के दामों पर रूपए का असर भी पड़ता है। जब रूपया, डॉलर के मुकाबले गिरता है तो सोने के दामों में बढ़ोत्तरी हो जाती है। उदाहरण के लिए- अगर रूपया, डॉलर के मुकाबले 60 रूपए है और यह तभी बढ़कर 61 हो जाता है तो आयात करने में इसे 61 रूपए ही लगाया जाएगा। इस तरह, सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निगाह रखना जरूरी हो जाता है।
अगर ऊपर दिए गए दो कारकों के दाम, स्थिर हैं तो सोने के दाम भी परिवर्तित नहीं होंगे। बस आपको, इन दो कारकों पर निगाह बनाएं रखनी है।