RBI क्रेडिट पॉलिसी से पहले सेंसेक्स-निफ्टी धड़ाम
बुधवार को RBI की मॉनिटरी पॉलिसी पेश होने जा रही है। ये 2017 की आखिरी मॉनिटरी पॉलिसी होगी। सरकार की तरफ से जोर दिया जा रहा है कि आरबीआई अपनी मॉनिटरी पॉलिसी में ब्याज दरों में कटौती की एलान करे जो कि मुश्किल लग रहा है। अब बैंक भी पॉलिसी के आने से पहले अपने अनुमान लगा रहे हैं और उन्हें भी ब्याज दरों में कटौती की कम ही उम्मीद है।
बैंको को कर्ज सस्ता होने की उम्मीद
HDFC बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से समाचार पोर्टल आज तक ने लिखा है कि, हाल-फिलहाल बैंको का कर्ज सस्ता होने की उम्मीद कम ही है, क्योंकि बैंकों के पास सुलभ अतिरिक्त नगदी खत्म हो चुकी है।
सेंसेक्स-निफ्टी में बड़ी गिरावट
जानकारों और बैंको का अनुमान है कि RBI ब्याज दर नहीं घटाएगा। वहीं आज मॉनिटरी पॉलिसी की रिपोर्ट पेश होने से एक दिन पहले ही सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट देखी गई है। खबर लिखे जाने तक सेंसेक्स में 168.48 अंको की गिरावट दर्ज की वहीं निफ्टी में 46.15 अंको की गिरावट देखी गई है। निफ्टी 10085.40 अंको पर पहुंच गया है, पिछले दो महीनों में निफ्टी में ये बड़ी गिरावट है।
ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश नहीं
रिजर्व बैंक की ओर से लगातार पेश की जा रही नीति की तरफ देखें। मुद्रास्फीति के मामले में जो हुआ है और तेल आदि को लेकर जो संभावनाएं दिख रही हैं उससे स्पष्ट है कि रिजर्व बैंक के लोग मानते हैं कि नीतिगत दृष्टि से ब्याज दर में और कटौती की एक तरह से कोई गुंजाइश नहीं बची है। उन्होंने कहा कि बैंकों के पास अतिरिक्त धन धीरे-धीरे खत्म हो चुका है। जमा दर में भी कमी की संभावित गुंजाइश कम हुई है।
6 दिसंबर को जारी होगी रिपोर्ट
रिजर्व बैंक 6 दिसंबर को द्वैमासिक मौद्रिक नीति जारी करेगा। इस समय रिजर्व बैंक की नीतिगत दर (रेपो दर) 6.00 प्रतिशत है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर अक्टूबर में 3.58 प्रतिशत हो गई, जबकि सितंबर में यह 3.28 प्रतिशत थी।
कच्चे तेल की कीमतें $60 से उपर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें भी प्रति बैरल 60 डॉलर से ऊपर चल रही हैं। मुद्रास्फीति बढ़ने के खतरे को देखते हुए रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक में नीतिगत दरों में कटौती की संभावना कम ही दिखती है।
एसोचैम की रिपोर्ट
उद्योग मंडल एसोचैम ने भी एक रिपोर्ट में कहा कि मुद्रास्फीति का दबाव रिजर्व बैंक के लिए चिंता का महत्वपूर्ण विषय है। ऐसे में नीतिगत ब्याज दर में कटौती की संभावना धूमिल हो गयी है। रिजर्व बैंक के लिए मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी गई है। इसमें हद से हद दो प्रतिशत तक की घट-बढ़ की छूट हो सकती है।