आपदा में अवसर : रूसी IT कंपनियां आएंगी भारत, जानिए फायदे
नई दिल्ली जून, 23। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को ब्रिक्स देशों के व्यापार मंच को संबोधित करते हुए कहा कि रूस में भारतीय रिटेल स्टोर श्रृंखला शुरू करने और रूस की आईटी कंपनियों को भारत में फर्म स्थापित करने के संबंध में मास्को और नई दिल्ली के बीच बातचीत चल रही है। ब्रिक्स के मंच से पुतिन ने रूसी व्यापार मंडलियों और ब्रिक्स देशों के व्यापारिक समुदाय के बीच सहयोग बढ़ाने की पहल की। रूस में भारतीय रिटेल चेन स्टोर खोलने, भारतीय बाजार में चीनी कारों, उपकरणों और मशीनरी की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए बातचीत चल रही है। पिछले ही महीने रूस सऊदी अरब को पछाड़कर भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश बना था।
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पुतिन ने क्या घोषणा की
पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स देशों में रूस की उपस्थिति भी बढ़ रही है जो सभी देशों के आपसी और व्यापारिक सहयोग के लिए अनुकूल साबित होगा। रूसी राष्ट्रपति ने बताया "चीन और भारत के साथ तेल निर्यात की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। कृषि के क्षेत्र में भी रूस ब्रिक्स देशों को बड़ी मात्रा में उर्वरक निर्यात करता है। रूसी आईटी कंपनियां भारत और दक्षिण अफ्रीका में अपनी गतिविधियों का विस्तार कर रही हैं, और हमारे उपग्रह ब्राजील के 40 मिलियन लोगों को टीवी प्रसारण प्रदान करते हैं "।

युद्ध के बावजूद रूस का व्यापार बढ़ा है
स्विट्जरलैंड ने रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार रूस से सोना आयात किया है। स्विस फेडरल सिस्टम एडमिनिस्ट्रेशन के आंकड़ों के मुताबिक, स्विट्जरलैंड ने मई में रूस से 3 टन से ज्यादा सोना आयात किया था। फरवरी के बाद दोनों से देशों के बीच यह पहली शिपमेंट थी। यूरोपीय बाजार में रूसी तेल और गैस का मार्केट भी तेजी से बढ़ रहा है। यूरोपीय बाजार युद्ध शुरू होने के बाद से ही रुस के सोने पर प्रतिबंध लगाया गया था। लेकिन अब स्थिति सामान्य होती नजर आ रही हैं।

भारत को क्या होगा फायदा
भारत में चीन और अमेरिकी आईटी कंपनियों का दबदबा हैं। भारतीय कंपनियां इन दोनों देशों के फर्म के आगे अपना बिजनेस बढ़ाने में असक्षम रही हैं। रुस के आईटी कंपनियों के भारत आने से भारतीय लोगों को और देश की कंपनियों को फायदा दो तरह से फायदा हो सकता है।
पहला- भारतीय कंपनियां रुस के कंपनियों के साथ मिल कर अपना व्यापार बढ़ा सकती हैं.
दूसरा- बाजार में चाइना और अमेरिका की मोनोपॉली खत्म होगी, प्रतिस्पर्धा बढ़ने से आईटी प्रोडक्ट्स के दाम भी कम होंगे.