6 करोड़ लोगों के लिए खुशखबरी, EPF योगदान पर मिलता रहेगा 8.5 फीसदी ब्याज
नयी दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के 6 करोड़ ग्राहकों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) ने ईपीएफ योगदान पर ब्याज दर में कोई कटौती नहीं की है। ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स को 2020-21 के लिए ईपीएफ योगदान पर 8.5 फीसदी ब्याज मिलेगा। पिछले वित्त वर्ष के लिए भी ईपीएफ योगदान पर इतना ही ब्याज दिया गया है। इस बात की बहुत अधिक संभावना थी कि ईपीएफ पर ब्याज दर घटाई जा सकती है। ईपीएफ योगदान पर ब्याज दर में कटौती न होना इसलिए राहत की खबर इसलिए है।

7 सालों में सबसे कम ब्याज दर
ईपीएफ योगदान पर ब्याज दर नहीं घटाई गयी, जो कि एक अच्छी खबर है। मगर 8.5 फीसदी दर 2012-13 के बाद से सबसे कम ब्याज दर है। कोरोना संकट में ईपीएफओ ग्राहकों ने जम कर पैसा निकाला और योगदान भी कम रहा। इसे देखते हुए ब्याज दर कम न किया जाना 6 करोड़ ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है। अनुमान लगाया जा रहा था कि ब्याज दर को 8.5 फीसदी से 8.3 फीसदी तक घटाया जा सकता है।

कब कितना ब्याज मिला
2019-20 में ग्राहकों को 8.5 फीसदी ब्याज मिला। इससे पहले 2018-19 में 8.65 फीसदी, 2017-18 में 8.55 फीसदी, 2016-17 में 8.65 फीसदी, 2015-16 में 8.8 फीसदी, 2014-2015 में 8.75 फीसदी, 2013-2014 में 8.75 फीसदी और 2012-13 में 8.5 फीसदी ब्याज दर दी गयी। इससे पहले 1989-90 से 1999-2000 तक 12 फीसदी ब्याज दिया गया। ये ईपीएफ पर अब तक की सबसे ऊंची ब्याज दर रही है।

शुरुआत में कितना था ब्याज
ईपीएफ की शुरुआत (1952-53) में ग्राहकों को सिर्फ 3 फीसदी ब्याज दिया गया था। 1954-55 तक ईपीएफ पर ब्याज की दर 3 फीसदी ही रही। इसके बाद ब्याज दर मं बढ़ोतरी की गयी।

पिछले साल ब्याज दर पर थी टेंशन
सरकार ने 8.5 फीसदी ब्याज का पैसा दो किस्तों में देने का ऐलान किया था। कहा गया था कि 8.15 फीसदी और 0.35 फीसदी की दो किस्तें दी जाएंगी। मगर बाद में एकमुश्त पैसा देने का फैसला किया गया। श्रम और रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने जानकारी दी थी कि ईपीएफ पर 8.5 फीसदी ब्याज राशि एक साथ दी जाएगी।

ईपीएफ ब्याज पर नया नियम
सरकार ने बजट में पीएफ योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि इससे सभी पीएफ खाताधारक प्रभावित नहीं होंगे। सरकार के नये प्रस्ताव के तहत किसी वित्त वर्ष में अधिकतम 2.5 लाख रुपये तक पीएफ योगदान पर होने वाली ब्याज आय ही कर मुक्त रहेगी। यानी यदि कोई पीएफ में किसी वित्त वर्ष में 2.50 लाख रुपये से अधिक का योगदान करता है तो उस पर मिलने वाले ब्याज को कर योग्य आय में शामिल कर टैक्स लगाया जाएगा। बजट में रखे गये प्रस्ताव के अनुसार यदि कोई व्यक्ति ईपीएफ खाते में 2.50 लाख रुपये या उससे अधिक का योगदान करे है तो इस सीमा से ऊपर के योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगेगा। ध्यान रहे कि इस 2.50 लाख रुपये में एम्प्लोयर (कंपनी) के योगदान को शामिल नहीं किया जाएगा।