Budget 2022 : जानिए घर खरीदारों को क्या मिल सकता है
नई दिल्ली, जनवरी 28। संसद में बजट आगामी 1 फरवरी 2022 को पेश होने जा रहा है। इस बजट को वित्त मंत्री पेश करेंगी, जो इनका लगातार चौथा बजट होगा। आइये जानते हैं कि इस बार बजट में घर खरीदार और रियल इस्टेट सेक्टर क्या-क्या चाहता है।
महामारी के दौरान दिक्कतों में आई अर्थव्यवस्था एक बार फिर से चलती दिख रही है। ऐसे में घरों की मांग बढ़ना शुरू हुई है। वहीं अगर सरकार इस समय बजट के माध्यत से कुछ राहत दे दे तो न सिर्फ लोगों को घर मिलना आसान हो सकता है, वहीं रियल इस्टेट सेक्टर में भी फिर से जान आ सकती है। आइये जानते हैं कि बजट में क्या क्या उम्मीद रखी जा सकती है।

लोन लेकर घर खरीदने वालों लोगों के लिए प्रिंसिपल रीपेमेंट पर अलग से डिडक्शन की सुविधा मिलनी चाहिए। अभी इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80 के तहत प्रिंसिपल रीपेमेंट पर डिडक्शन की सुविधा मिलती है। चूंकि, इस सेक्शन में पीपीएफ, ईएलएसएस, ट्वयूशन फीस जैसी कई चीजें शामिल हैं, जिससे प्रिंसिपल रीपेमेंट पर डिडक्शन के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं बचती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम की अवधि बढ़ानी चाहिए। एमआईजी सेगमेंट में आने वाले ग्राहकों के लिए मार्च 2021 तक उपलब्ध थी। इकोनॉमिक वीकर सेक्शन और लोअर इनकम ग्रुप के लिए यह स्कीम 31 मार्च, 2022 तक उपलब्ध है। इस स्कीम का लाभ सभी इनकम ग्रुप के लोगों के लिए कम से कम एक साल के लिए बढ़ा देना चाहिए।
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80ईईए के तहत पहली बार घर खरीदने वाले लोगों को होम लोन के इंट्रेस्ट पेमेंट पर 1.5 लाख रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन मिलता है। पिछले साल पेश बजट में इस स्कीम को बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 तक कर दिया गया था। अभी होम लोन की ब्याज दर बहुत कम है। इसलिए इस स्कीम को बढ़ाने से बड़ी संख्या में घर खरीदारों को फायदा होगा।
फाइनेंस बिल, 2017 में हाउस प्रॉपर्टी से हुए लॉस को किसी दूसरी इनकम के साथ सेट-ऑफ करने के लिए 2 लाख रुपये की लिमिट तय कर दी गई थी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को इस लिमिट को हटाने की जरूरत है। इससे टैक्सपेयर्स को बहुत फायदा होगा। वह किराए पर दिए अपनी प्रॉपर्टी पर बगैर किसी लिमिट पूरे इंट्रेस्ट को क्लेम कर सकेगा। इससे खरीदी गई प्रॉप्रटी पर टैक्स-बाद मिलने वाला रिटर्न बढ़ जाएगा।
अभी ग्राहक पूरा हो चुके प्रोजेक्ट्स में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं। अगर अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स को जीएसटी से छूट दी जाए तो ग्राहक ऐसे प्रोजेक्ट्स में भी दिलचस्पी दिखाएंगे। उनके लिए ज्यादा प्रोजेक्ट्स के विकल्प भी उपलब्ध होंगे। इसका फायदा रियल एस्टेट कंपनियों को भी मिलेगा। उनके खाली पड़े घरों की संख्या घटेगी।
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