अलर्ट : US की GDP में गिरावट दर्ज, जानिए भारत का नुकसान
नई दिल्ली, जून 30। अमेरिका की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ग्लोबलाइजेशन का एक नुकसान यह है कि सभी देशों की घरेलू अर्थव्यवस्थायें दूसरे देशों के बाजार की स्थिति से प्रभावित होती है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था एनालिसिस एजेंसी ब्यूरो ऑफ इकॉनमी एनालिसिस के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 के पहले तिमाही में अमेरिका की अर्थव्यवस्था 1.6 फीसदी गिरी है। ग्लोबल परिस्थिति को देखते हुए अर्थव्यवस्था के जानकार इसे देश में मंदी (recession) की आशंका के तौर पर देख रहे हैं। यूएस का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) साल 2020 की दूसरी तिमाही के बाद पहली बार गिरा है। पिछले वर्ष 2021 के पहले तिमाही में अमेरिका की इकॉनमी 6.9 फीसदी के दर से बढ़ी थी। अमेरिका में महंगाई पिछले चार दशक के उच्चतम स्तर पर है।
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1.6 प्रतिशत हुई है गिरावट
ब्यूरो ऑफ इकॉनमी एनालिसिस (बीईए) के तीसरे और फाइनल रिवीजन के अनुसार साल 2022 के जनवरी से मार्च के समय में रियल ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (आरजीडीपी) में वार्षिक आधार पर 1.6 फीसदी की गिरावट आई है। पूर्वानुमान में जीडीपी में 1.4 प्रतिशत तक गिरावट की बात कही गई थी। बीईए का कहना है कि कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामलों में आई तेजी ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध का असर
वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में विश्व की अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा प्रभावित रूस और यूक्रेन के युद्ध ने किया। रूस के यूक्रेन पर हमले के कारण पुरे विश्व की सप्लाई व्यवस्था प्रभावित हुई । सप्लाई चेन के आलावा फूड, फाइनेंस और एनर्जी सेक्टर भी युद्ध से खासा प्रभावित रहा है । पहली तिमाही में इन सभी समस्याओं ने जरूरी सामानों, ग्लोबल मार्केट में तेल के भाव और लेबर कास्ट को बढ़ा दिया था। पहले तिमाही में गिरावट का असर दूसरे तिमाही में भी जारी है। अमेरिका में महंगाई चार दशक में इतनी कभी नही हुई।
भारत को कैसे होगा नुकसान?
वित्त वर्ष 2021-22 में अमेरिका चीन को पछाड़कर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश बना था। यह व्यापारिक भागीदारी दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक संबंधों को दर्शाता है। ऐसे में अगर अमेरिका की अर्थव्यवस्था में मंदी आती है तो इसका सीधा असर भारत की इकॉनमी पर पड़ेगा। कॉमर्स मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में अमेरिका और भारत के बीच साझा व्यापार 119.42 अरब डॉलर का था, जबकि 2020-21 में दोनों देशों के बीच व्यापार 80.51 अरब डॉलर था।