क्या अंतरिम बजट SME सेक्टर का भविष्य सुधार सकता है?
क्या इस बार 1 फरवरी को पेश होने वाला अंतरिम बजट SME सेक्टर यानी कि सूक्ष्म, मझोले और लघु उद्योगों का भविष्य सुधार सकता है?
गुरुवार को जीएसटी काउंसिल की हुई बैठक में छोटे कारोबारियों को कई राहत की खबरें मिली हैं। इस बैठक में सरकार ने न केवल सिर्फ थ्रेसहोल्ड की लिमिट 20 से बढ़ाकर 40 लाख रुपए का दी है, बल्कि कंपोजिशन स्कीम का दायरा 1 करोड़ से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपए कर दिया है। इससे एक बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इस बार 1 फरवरी को पेश होने वाला अंतरिम बजट SME सेक्टर यानी कि सूक्ष्म, मझोले और लघु उद्योगों का भविष्य सुधार सकता है?
अरुण जेटली द्वारा पेश किया जाने वाले इस अंतरिम बजट में ज्यादा परिवर्तन होने की संभावना नहीं है। खासकर नीतिगत परिवर्तनों के संबंध में।
नोटबंदी और जीएसटी के बाद से SME सेक्टर में दिया जा रहा जोर
किसी भी मामले में अधिकांश एसएमई क्षेत्र माल और सेवा कर (जीएसटी) में बदलाव के लिए दिखता है। हालांकि, पिछले केंद्रीय बजट 2018-19 में, सरकार ने वित्त पोषण पर जोर दिया था। MSMEs के व्यवसाय का व्यापक औपचारिकरण नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने के बाद हो रहा है।
पिछले बजट में अरुण जेटली ने दी थी उम्मीदें
बजट 2018-19 को प्रस्तुत करते समय अरुण जेटली ने लोकसभा में कहा था कि यह एमएसएमई के वित्तीय सूचना डेटाबेस की भारी मात्रा में उत्पादन कर रहा है, जिसका उपयोग एमएसएमई के वित्त पोषण और कार्यशील पूंजी सहित अन्य आवश्यकताओं में सुधार के लिए किया जाएगा।
अंतरिम बजट में SME के लिए नहीं हैं कोई उम्मीदें
अंतरिम बजट में, कोई एसएमई क्षेत्र के लिए बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं कर सकता है। इसका कारण यह है कि इस क्षेत्र में अतीत में फंड की काफी कमी रही है। प्रमुख मुद्दों में होगा NPA की समस्या जिस पर आरबीआई काम कर सकता है।
कुल मिलाकर, कोई SME क्षेत्र के लिए बहुत अधिक नीतिगत बदलावों की उम्मीद नहीं कर सकता है, क्योंकि कर संबंधी अधिकांश मुद्दे अब जीएसटी के अंतर्गत आते हैं।