डिजिटल टैक्स लाने की तैयारी में मोदी सरकार
बजट 2018 के आने के बाद टैक्स में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। सरकार इस बार दो नए टैक्स से अवगत करा सकती है। नॉन-कम्पीट पेमेंट्स 'वेतन' और 'वेतन के बदले मुनाफा' के दायरे में नहीं आते हैं। जिस कारण इन पर टैक्स नहीं लगता है। साथ ही यह भी माना जा रहा है कि भारत में विदेशी इंटरनेट कंपनियों से भी टैक्स वसूलने की शुरुआत हो सकती है।
थर्ड पार्टी भी आएगी टैक्स के दायरे में
इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार फर्म ईवाई इंडिया के डायरेक्टर पुनीत गुप्ता के अनुसार बजट में दिए प्रस्ताव के तहत अगर किसी कर्मचारी को अपने कंपनी के बदले किसी और (थर्ड पार्टी) से पेमेंट मिलता है तो उसे भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा। सरल तरीके में समझें तो टैक्स के दायरे में ऐसे केस भी आएंगे जिनमें पेमेंट देने वाले और लेने वाले के बीच कंपनी-कर्मचारी का रिश्ता नहीं है।
हो रही थी राजस्व में हानि
इकोनॉमिक्स टाइम्स ने अपनी इस रिर्पोट में आगे बताया कि फाइनैंस बिल के मेमोरेंडम के अनुसार कई पेमेंट्स टैक्स के दायरे में न होने से राजस्व की हानि होती थी। इसलिए आयकर कानून के सेक्शन 56 में संशोधन करने का प्रस्ताव लाया गया है। एंप्लामेंट के टर्मिनेशन पर कॉम्पेंसेशन या किसी अन्य पेमेंट को 'दूसरे स्त्रोतों से इनकम' माना जाएगा। ऐसी आय पर स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा। बजट प्रस्तावों के अनुसार 1 करोड़ से ज्यादा की टैक्स योग्य आय पर अधिकतम 36 प्रतिशत टैक्स लग सकता है। इस संशोधन में एंप्लॉयर से पिंक स्लिप मिलने या वीआरएस के मामलों को नहीं रखा गया है।
डिजिटल मार्केट पर कसा सिकंजा
इस बार बजट में अरुण जेटली ने उन विदेशी डिजिटल एंटिटिज को टैक्स के दायरे में लाने का विचार रखा है जिनका देश में बड़ा यूजर बेस या बिजनेस है, लेकिन उनका अस्तित्व यहां नहीं है। फेसबुक, गूगल जैसी कंपनियों के भारत में लाखों यूजर हैं लेकिन इन कंपनियों का संचालन विदेशों से होता है। फिलहाल इन कंपनियों के ऑफिस भारत में भी हैं, लेकिन इनका ऑपरेशनल इंफास्ट्रक्चर यहां नहीं है।
डिजिटल टैक्स
बजट में पहली बार इस बात का जिक्र किया गया है कि केंद्र सरकार इनकम टैक्स एक्ट 9 में संशोधन कर ऐसी विदेशी डिजिटल कंपनियों से टैक्स वसूलने की तरफ कदम बढ़ा रही है। सरकार के इस कदम से न केवल गूगल, फेसबुक और जैसी बड़ी कंपनियों पर असर पड़ेगा, बल्कि भारत में कारोबार करने वाली इंटरनेट आधारित छोटी विदेशी कंपनियों भी इसके दायरे में आएंगी।