सत्यम केस में SEBI की बड़ी कार्रवाई, PwC पर 2 साल की पाबंदी
ग्लोबल ऑडिटिंग फर्म प्राइस वाटरहाउस (PwC) दो साल तक भारत में लिस्टेड कंपनियों की ऑडिटिंग नहीं कर पाएगी। देश के कैपिटल मार्केट के रेगुलेटर सेबी ने देश के सबसे बड़े अकाउंटिंग स्कैंडल की साजिस रचने में तत्कालीन सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के डायरेक्टरों और कर्मचारियों के साथ मिलीभगत के आरोप में प्राइस वाटरहाउस पर यह पाबंदी लगाई है।
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिर्पोट के अनुसार सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के अनुसार PW के ब्रैंड्स और बैनर तले भारत में चार्टेड अकाउंटेंट्स का काम करने वाली संस्थाएं/कंपनियां लिस्टेड कंपनियों को ऑडिट का कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सकतीं। ये संस्थान और कंपनियां सेबी में रजिस्टर्ड कंपनियों को भी सर्टिफिकेट जारी नहीं कर पाएंगी। यह रोक दो साल के लिए लागू नहीं होगी।
तो वहीं सेबी के प्राइस वाटरहाउस के पूर्व पाटनर्स एस गोपालकृष्णन और श्रीनिवास तल्लुरी को भी 3 साल के लिए लिस्टेड कंपनियों की ऑडिटिंग से प्रतिबंधित कर दिया है। इन्होंने जनवरी 2009 तक लगातार 8 साल तक सत्यम के अकाउंट्स पर साइन किया था जब तक कि फर्जीवाड़ा उजागर नहीं हो गया।
PW बेंगलुरु, गोपालकष्णन, और तल्लुरी को 7 जनवरी 2009 से पेमेंट की तारीख तक 12 प्रतिशत के ब्याज के साथ 13.09 करोड़ रुपए की गलत कमाई वापस करने का निर्देश दिया गया है। सेबी ने कहा कि प्राइस वाटरहाउस की कंपनियां सत्यम कंप्यूटर्स के साथ गैर-कानूनी रिश्तों की वजह से फायदा कमाया और उन्हें 2000 से 20008 के बीच 23.31 करोड़ रुपए मिले। इनमें 13.09 करोड़ रुपए पीडब्ल्यू बेंगलुरु को सत्यम की ऑडिटिंग के लिए मिले थे।