राजनीतिक चंदे पर सर्जिकल स्ट्राइर, बजट में हुआ बड़ा एलान
1 फरवरी को पेश हुए बजट में वित्तमंत्री ने राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे को लेकर बने कानून में संशोधन करने की बात कही साथ ही बेनामी चंदों को लेकर सख्त कदम भी उठाने का एलान किया।
1 फरवरी 2017 को पेश किए गए बजट में जैसे ही वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राजनीतिक दलों और चंदे का जिक्र किया तुरंत ही सारी निगाहें वित्तमंत्री की तरफ घूम गईं। वित्तमंत्री थोड़ा मुस्कुराए और फिर बजट भाषण को पढ़ने लगे। दरअसल 1 फरवरी को पेश हुए बजट में वित्तमंत्री ने राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे को लेकर बने कानून में संशोधन करने की बात कही साथ ही बेनामी चंदों को लेकर सख्त कदम भी उठाने का एलान किया।
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बेनामी चंदे पर सर्जिकल स्ट्राइक!
केंद्र सरकार राजनीतिक दलों पर बेनामी नकद चंदे की सीमा 20,000 रुपए से घटा कर 2,000 तक सीमित करने के बाद सरकार ऐसा कानूनी संशोधन करने जा रही है जिसके तहत उन्हें हर साल दिसंबर तक आय का विवरण विभाग में दाखिल करना जरूरी होगा। ऐसा नहीं करने उन्हें मिली कर छूट खत्म हो जाएगी।
बान्ड खरीदने वाले का नाम गुप्त रहेगा
सरकार ने बुधवार को पेश 2017-18 के बजट में चुनावी बांड शुरू करने का निर्णय किया है। बैंकों से यह बांड खरीदने वालों का नाम गुप्त रखा जाएगा और इसके लिए कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि राजनीतिक दलों को आयकर से छूट मिली हुई है। लेकिन आधे दल ऐसे हैं जो अपनी आय और निवेश का विवरण (आईटीआर) विभाग में प्रस्तुत नहीं करते।
आयकर कानून में संशोधन का प्रस्ताव
राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बार के बजट के साथ प्रस्तुत वित्त विधेयक में आयकर कानून में ऐसे संशोधन का प्रस्ताव किया है जिसके तहत पार्टियों को हर साल दिसंबर तक आईटीआर दाखिल करना जरूरी हो जाएगा। उदाहरण के लिए उन्हें आकलन वर्ष 2018-19 यानी (1 अप्रैल 2017 से शुरू हुए वर्ष 2017-18 की आय के आकलन के वर्ष) के लिए आयकर विभाग में 31 दिसंबर 2018 तक विवरण प्रस्तुत करना होगा।
दिसंबर तक ITR दाखिल करना होगा जरूरी
अधिया ने कहा कि यदि राजनीतिक दलों ने दिसंबर तक आईटीआर दाखिल नहीं किया तो उनकी कर-छूट खत्म हो जाएगी। हम इसके लिए लिए उन्हें नोटिस भेजेंगे। इससे कड़ा अनुशासन लागू होगा। हमारा अनुभव है कि 50 प्रतिशत राजनीतिक दल पिछले दो साल से आईटीआर दाखिल नहीं करा रहे हैं। ये अपेक्षाकृत छोटे दल हैं जिन्हें आईटीआर दाखिल करने की परवाह ही नहीं लगती है। उन्होंने कहा कि यदि इन्होंने दिसंबर तक आईटीआर दाखिल न किया तो वे कर छूट का लाभ गवां सकती हैं।