रिकरिंग डिपॉजिट (RD) पर ब्याज दर कैसे कैलकुलेट करें?
रिकरिंग डिपॉजिट (सावधि जमा) यानि आरडी एक ऐसा डिपॉजिट है जिसमें आप हर महीने राशि जमा कराते हैं।
रिकरिंग डिपॉजिट (सावधि जमा) यानि आरडी एक ऐसा डिपॉजिट है जिसमें आप हर महीने राशि जमा कराते हैं। इससे परिपक्वता अवधि में एक अच्छी ख़ासी राशि जुड़ जाती है। आरडी में आप महीने के अंत में बचने वाली छोटी सी राशि से भी शुरुआत कर सकते हैं।
निश्चित राशि जमा करना
इस स्कीम में आपको महीने में नियमित राशि जमा करवानी होती हैं, इसमें एफ़डी की तरह कोई एकमुश्त नहीं जमा करवानी होती है। जब आपको राशि मैच्योर होती है तो आपको एकमुश्त राशि मिल जाती है।
ब्याज दर की गणना कैसे करें?
आरडी में ब्याज दर तिमाही के आधार पर गणना की जाती है। मान लीजिये कि आप 8.75% की ब्याज दर से 24 महीने के लिए हर महीने 2000 की राशि जमा कराते हैं। ऐसे में बैंक आपको पहले महीने 24 महीने के लिए तिमाही से गणना करते हुये 2000 रुपए पर ब्याज देता है। अगले महीने यह 23 महीने के लिए तिमाही की गणना करते हुये ब्याज देगा। इसलिए आरडी फायदेमंद है क्यों कि इससे आपके लिए भविष्य का पूंजी निर्माण होता है।
सालाना के लिए आरडी
यदि आप आरडी को सालाना के हिसाब से चलाना चाहते हैं तो आप ऐसा भी कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करने पर आपको कम ब्याज से संतुष्ट होना पड़ेगा। कुछ बैंक सर्विस चार्ज के रूप में पैनल्टी भी लगाते हैं।
टैक्स अनुमान
आपको ध्यान रखना होगा कि आरडी पर पहले से ही इन्कम टैक्स लागू होता है। ऐसे डिपॉजिट पर टीडीएस लागू नहीं होता है। फिर भी, ब्याज की राशि पर टैक्स लगता है इसलिए रिटर्न भरते समय टैक्स देना होगा। इसलिए, यदि आप 20 प्रतिशत के टैक्स की श्रेणी में आते हैं तो आपको आरडी पर 20 प्रतिशत टैक्स देना होगा।
निष्कर्ष
इसलिए आरडी में आप छोटी राशि से बचत की शुरुआत करके अंत में एक अच्छी ख़ासी राशि जमा कर सकते हैं। यदि आप टीडीएस से बचना चाहते हैं तो आप आरडी का विकल्प चुन सकते हैं।