भारतीय CEO's स्टाफ की तुलना में औसतन 1200 गुना अधिक कमाते हैं!
भारतीय कंपनियों में सीईओ और अन्य कर्मचारियों के वेतन में भारी अंतर सामने आया है, जिसमें इन कंपनियों में पदस्थ उच्च अधिकारियों को मध्यस्थ कर्मचारियों के वेतन की तुलना में 1200 गुना वेतन अधिक दिया जा रहा है। पूंजी बाज़ार नियामक सेबी (सिक्यूरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया) के निर्देशन में ब्लू चिप सेंसेक्स इंडेक्स की हिस्सेदारी वाली शीर्ष कंपनियों के पारिश्रमिक का विश्लेषण यह दर्शाता है कि वर्ष 2016-17 के वित्तीय वर्ष के दौरान अधिकांश निजी सेक्टरों में सीईओ और एग्जीक्यूटिव चेयरमैन जैसे वरिष्ठ कर्मियों का पैकेज अधिक ही रहा।
100 गुना का अंतर
इसके विपरीत पिछले वित्तीय वर्ष में मध्यस्थ कर्मचारियों का वेतन या तो कम हुआ या लगभग उतना ही रहा। हालाँकि कई मामलों में कंपनी के शीर्ष अधिकारियों और मध्यस्थ कर्मचारियों के वेतन के अनुपात का स्तर 100 गुना तक था।
पब्लिक सेक्टर में कम है ये अंतर
पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में बिलकुल अलग ही चित्र देखने मिलता है जहां मुख्य अधिकारियों का वेतन मध्यस्थ कर्मचारियों के वेतन से केवल 3-4 गुना ही अधिक होता है। हालांकि इन कंपनियों पर कोई प्रतिबंध नहीं होता कि वे अपने शीर्ष अधिकारियों और औसत कर्मचारियों को कितना भी वेतन दे परन्तु सेबी के नियमों के अनुसार अधिकांश सूचीबद्ध कंपनियों को उनके द्वारा दिए जाने वाले पारिश्रमिक का खुलासा करना पड़ता है ताकि निवेशकों को उन कंपनियों के वेतन की प्रक्रिया के बारे में पता चल सके जिसमें उन्होंने निवेश किया है।
सरकार से लेनी पड़ती है स्वीकृति
हालांकि टॉप एग्जीक्यूटिव के वेतन, विशेष रूप से वे जो प्रमोटर ग्रुप से संबंधित हैं, के लिए कंपनी के बोर्ड, विभिन्न समितियों और शेयरहोल्डर्स की मंज़ूरी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा अपर्याप्त लाभ वाली कंपनियों को अपने शीर्ष अधिकारियों को दिए जाने वाले वेतन के लिए सरकार की स्वीकृति लेनी पड़ती है।
कंपनी के कुल मुनाफे का 5 फीसदी
नियमों के अनुसार किसी भी मैनेजिंग डायरेक्टर (प्रबंध निदेशक) या पूर्ण कालिक प्रबंध निदेशक या मैनेजर (प्रबंधक) को दिया जाने वाला वेतन कंपनी के कुल मुनाफे का 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि ऐसे एक से अधिक डायरेक्टर हैं तो उन सभी का कुल वेतन कंपनी के कुल मुनाफे का 10 प्रतिशत होना चाहिए।
कई कंपनियों ने अपने टॉप अधिकारियों का वेतन घोषित किया
30 सेंसेक्स फर्म्स में से कम से कम 15 कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए अपने टॉप एग्जीक्यूटिव के वेतन और मध्यस्थ कर्मचारियों के वेतन का अनुपात घोषित कर दिया है। नौ सेंसेक्स फर्म्स अभी भी अपनी संख्या का खुलासा नहीं किया है अत: यह संख्या बढ़ सकती है।
विप्रो-इंफोसिस समेत 6 कंपनियो के अनुपात में गिरावट
6 सेंसेक्स कंपनियों ने इस अनुपात में कुछ गिरावट दर्शाई है और इन कंपनियों में विप्रो (260 गुने से 259 तक की गिरावट), इंफ़ोसिस (283 गुना), डॉक्टर रेड्डी लैब (312 गुना से 233 गुना) और हीरो मोटोकॉर्प (755 गुना से 731 गुना) शामिल है। देश की सबसे प्रतिष्ठित कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने वेबसाइट पर प्रकाशित अपनी वार्षिक रिपोर्ट में अभी इसका खुलासा नहीं किया है।
15 करोड़ रुपए है मुकेश अंबानी का वेतन
इसके प्रमुख मुकेश अम्बानी का वेतन कई वर्षों तक 15 करोड़ रूपये था और वर्ष 2014-15 में यह अनुपात सबसे अधिक 205 गुना था। प्रमुख सेंसेक्स फर्म्स में से टीसीएस में टॉप एग्जीक्यूटिव के और मध्यस्थ कर्मचारियों के वेतन का अनुपात 515 गुना तक बढ़ा (पिछले वर्ष यह 460 गुना था), जबकि लूपिन के चेयरमैन के लिए यह 1,263 गुना था (पिछले अनुपात से 1,317 गुना कम)। लूपिन के सीईओ के लिए अनुपात 217 गुना कम था।
इन कंपनियों में बढ़ा वेतन के अनुपात का अंतर
अदानी पोर्ट के गौतम अदानी के मामले में यह अनुपात 42 गुना कम था (48 गुने से) जबकि अन्य पूर्ण कालिक निदेशक के लिए यह 169 गुना अधिक था। उसी प्रकार बजाज ऑटो का अनुपात भी 522 गुना अधिक था। बैंक जैसे एचडीएफसी बैंक के सीईओ आदित्य पुरी (जिनका पैकेज 20 प्रतिशत से बढ़कर 10 करोड़ रुपयों से अधिक) है, जो 179 से 187 गुना बढ़ा है। कोटक महिंद्रा के अनुपात में 42 से 48 गुना, आईसीआईसीआई के अनुपात में 100 से 112 गुना और एक्सिस बैंक के अनुपात में 72 से 78 गुना वृद्धि हुई है। एचडीएफसी लिमिटेड के सीईओ केकी मिस्त्री का अनुपात 88 गुना से बढ़कर 92 गुना हो गया जबकि चेयरमैन दीपक पारेख के लिए यह 17 गुना से बहुत कम था।
L&T का अनुपात 1004 गुना
ऐसी कंपनियां जिन्होंने अभी तक अपना डाटा नहीं दिया है उनमें से लार्सन एंड टुब्रो ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में बहुत अधिक अनुपात लगभग 1004 गुना दिखाया था। देवेश्वर के मामले में आईटीसी में यह अनुपात 427 से बढ़कर 508 गुना हो गया था जिन्होंने अब अपना टॉप एग्जीक्यूटिव का पद छोड़ दिया है परन्तु वर्तमान एग्जीक्यूटिव चीफ का अनुपात लगभग 59 गुना कम है। देवेश्वर के पैकेज में 58 प्रतिशत से 21.16 करोड़ रुपयों की वृद्धि हुई जिसमें सभी लाभ भी शामिल हैं।
भारती एयरटेल का अनुपात 366 गुना
अन्य कंपनियों में इस अनुपात में कुछ वृद्धि देखी गयी है जिसमें भारती एयरटेल (वर्ष 2016-17 में 366 गुना), सिप्ला (416 गुना), एम एंड एम (108 गुना), टाटा स्टील (94 गुना) और एचयूएल (138 गुना) शामिल हैं।
इन कंपनियों वेतन अनुपात में आई गिरावट
कुछ कंपनियों जैसे विप्रो और सिप्ला के मध्यस्थ कर्मचारियों के वेतन में कुछ कमी हुई है और कुछ कंपनियों जैसे भारती एयरटेल, एम एंड एम, बजाज ऑटो, टीसीएस और एचयूएल जैसी कंपनियों में बहुत ही मामूली वृद्धि, 5% से भी कम हुई है।
मध्यस्थ कर्मचारियों का वेतन 10% से भी कम बढ़ा
ऐसी बहुत कम कंपनियां हैं जिन्होनें अपने मध्यस्थ कर्मचारियों का वेतन 10 प्रतिशत से बढ़ाया है जिनमं कोटक महिंद्रा बैंक, अदानी पोर्ट्स, एचडीएफसी बैंक, एचडीएफसी लिमिटेड और लूपिन है। डॉक्टर रेड्डी लैब उन कुछ कंपनियों में से एक है जिनमें सीईओ के वेतन में कमी हुई है जबकि आरआईएल और अदानी पोर्ट्स में इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।