म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने से पहले जान लें 5 जरुरी बातें
अगर आपको शेयर बाजार की समझ ज्यादा नहीं है या आप इसमें लगाए गए अपने पैसे की निगरानी के लिए वक्त नहीं निकाल सकते, तो निश्चत तौर पर आपके लिए बेहतर माध्यम है।
वैसे म्यूचुअल फंड के जरिए सिर्फ इक्विटी या शेयर बाजार में ही नहीं बल्कि डेट, गोल्ड और कमोडिटी में भी पैसे लगाए जा सकते हैं। लेकिन अगर आपको शेयर बाजार की समझ ज्यादा नहीं है या आप इसमें लगाए गए अपने पैसे की निगरानी के लिए वक्त नहीं निकाल सकते, तो निश्चत तौर पर आपके लिए बेहतर माध्यम है।
तो अगर आपने म्यूचुअल फंड में निवेश करने का मन बना लिया है तो अगला सवाल सामने आता है कि म्यूचुअल फंड चुने कैसे? यही सवाल सबसे अहम है क्योंकि निवेश के लिए सही म्यूचुअल फंड चुनना एक बहुत ही मुश्किल काम है। आप को बता दें कि बाजार में दर्जनों कंपनियों की हजारों म्यूचुअल फंड स्कीमें मौजूद हैं।
निवेश का मकसद
सबसे पहले आपको यह तय करना है कि आपके निवेश का मकसद क्या है, तो इसके लिए अलग म्यूचुअल फंड होंगे। अगर आपको 5,7 या 10 साल या इससे भी ज्यादा समय के लिए निवेश करना है तो उसके लिए दूसरे म्यूचुअल फंड होंगे। इसका मतलब यह है कि सही म्यूचुअल फंड का चुनाव इसी बात पर निर्भर करता है कि आपकी निवेश अवधि कितनी है। अगर आप छोटी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो आप डेट फंड या लिक्विड फंड चुन सकते हैं। वहीं अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं तो फिर आपके लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड सही रहेंगे।
जोखिम लेने की क्षमता तय करना
एक बार जब आपने निवेश की अवधि तय कर ली है तो फिर आपको यह सोचना होगा कि आप निवेश के लिए कितना जोखिम उठा सकते हैं। अगर आप ज्यादा रिर्टन चाहते हैं तो आपको जोखिम भी ज्यादा उठाना पड़ेगा। लेकिन निवेश में सिर्फ रिटर्न महत्वपूर्ण नहीं होता इसमें आपकी लगाई गई पूंजी की सुरक्षा भी मायने रखती है।
फंड की पिछली परफॉमेंस देख लें
निवेश करने से पहले म्यूचुअल फंड का पिछला प्रदर्शन जरुर देखें। वैसे तो यह गारंटी नहीं रहती कि पिछला प्रदर्शन अच्छा हो तो वर्तमान प्रदर्शन भी सही होगा। लेकिन आप दो चार फंड के प्रदर्शन की तुलना करके आप अच्छे फंड की पहचान कर सकते हैं। इससे आप अलग-अलग फंड से अब तक मिले औसत रिटर्न का अंदाजा भी लगा सकते हैं। आप अलग-अलग रेटिंग एजेंसियों द्वारा फंड्स को दी गई रेटिंग भी देख सकते हैं।
खर्चों पर नजर डालें
किसी भी म्यूचुअल फंड को चुनते वक्त ये जरुर देख लें कि उसमें निवेश से जुड़े खर्च क्या हैं क्योंकि आपका नेट रिटर्न इन खर्चो की वजह से कम हो सकता है। जिन खर्चों को आपको देखना होगा, वो हैं एंट्री और एक्जिट लोड, एसेट मैनेजमेंट चार्ज और एक्सपेंस रेशियो। वैसे तो म्यूचुअल फंड स्कीमों में एंट्री लोड नहीं लगता, लेकिन एक तय सीमा के पहले स्कीम से पैसे निकालने पर कई कंपनियां एक्जिट लोड चार्ज करती हैं जो कि 3 प्रतिशत तक हो सकता है। इसलिए उन स्कीमों में निवेश करें जहां एक्जिट लोड कम हो या नहीं हो।
फंड हाउस और मैनेजर का रिकार्ड भी देखें
जिस म्यूचुअल फंड स्कीम में आप पैसा लगाने जा रहे हैं उस स्कीम को लाने वाली कंपनी और उसकी देखरेख करने वाले मैनेजर का रिकार्ड चेक करना भी मायने रखता है। देखें कि फंड हाउस कितने समय से काम कर रहा है। उसकी दूसरी स्कीमों का परफॉर्मेंस कैसा रहा है और कंपनी की साख बाजार में कैसी है। साथ ही यह भी पता लगाएं कि आपकी स्कीम के फंड मैनेजर का अनुभव कितना है और वो इस स्कीम को कितने समय से मैनेज कर रहा है।