व्यापार करते हैं तो GST के लागू होने से पहले जान लें ये बातें
1 जुलाई से जीएसटी ( गुड्स एण्ड सर्विसेज टैक्स) पूरे देश में लागू हो जाएगा। उसके बाद से बहुत सारी चीजें बदल जाएगी। खासकर व्यापारियों के व्यापार में जीएसटी से संबंधित कई बदलाव देखने को मिलेंगे।
1 जुलाई से जीएसटी (गुड्स एण्ड सर्विसेज टैक्स) पूरे देश में लागू हो जाएगा। उसके बाद से बहुत सारी चीजें बदल जाएगी। खासकर व्यापारियों के व्यापार में जीएसटी से संबंधित कई बदलाव देखने को मिलेंगे। इसका सबसे ज्यादा असर उन छोटे व्यापारियों में पड़ेगा जो अब तक टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करते थे। जीएसटी के लागू होने के बाद इन छोटे व्यापारियों को ना केवल इनकम टैक्स रिटर्न भरना होगा बल्कि रिटर्न भरने का तरीका भी उन्हें सीखना होगा। अगर रिटर्न फाइल करने में व्यापारी छूट जाते हैं तो इसका सीधा असर उनके कारोबारी रिश्ते पर पड़ेगा। यहां पर उन सभी व्यापारियों के लिए कुछ टिप्स बताए जा रहे हैं जो कि उन्हें जीएसटी लागू होने के पहले ही अच्छे से ज्ञात हो जाना चाहिए।
पहला रिटर्न
अप्रत्यक्ष कर के एक्सपर्ट के अनुसार हर महीने के 10 तारीख को GSTR-1 यानी की पहली रिटर्न भरनी होगी। इस जानकारी के अंतर्गत फॉर्म जीएसटीआर-1 में व्यापारी को व्यक्तिगत रुप से हर महीने बेचे गए सामान की पूरी जानकारी देनी होगी।
दूसरा रिटर्न
हर महीने के 11 तारीख को दूसरी रिटर्न जीएसटीआर-2ए भरी जाएगी। जिसमें GSTR-1 में सप्लायर की घोषणा के आधार पर यह फॉर्म तैयार किया जाएगा। इसमें संशोधन की तारीख 11 से 15 की तारीख है। अगर इन तारीखों के बीच में GSTR-2ए में संशोधन नहीं होता है तो इनपुट टैक्स क्रेडिट की योग्यता पर असर पड़ सकता है।
तीसरा फॉर्म
फॉर्म जीएसटीआर-2ए में दी गई जानकारी के अतिरिक्त कोई दावा करने के लिए 15 तारीख तक जीएसटीआर-2 फॉर्म जमा कर देना होगा। जीएसटीआर-2 में दी गई जानकारी के आधार पर आपको ई-क्रेडिट लेजर में आईटीसी क्रेडिट हो जाएगा और इनवॉयस मैच हो जाने पर पक्का हो जाएगा।
16 तारीख को जीएसटीआर-1ए
यदि फॉर्म GSTR-2 में व्यापारी कोई सुधार करेगा तो उसे अपने सप्लायर को फॉर्म जीएसटीआर-1ए के जरिये मुहैया कराया जाएगा। उसके बाद ही सप्लायर व्यापारी के संशोधनों को या तो स्वीकार करेगा या फिर खारिज करेगा।
जीएसटीआर-3
फॉर्म जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-2 के आधार पर 20 तारीख को ऑटो पॉप्यूलेटेड रिटर्न जीएसटीआर-3 उपलब्ध हो जाएगा और इसे आप पेमेंट के साथ जमा कर सकते हैं।
तो इस तरह मिलेगा इनपुट टैक्स क्रेडिट
GSTR-3 में मंथली रिटर्न फाइल की सही तारीख के बाद इंटरनल सप्लाई और बाहरी सप्लाई में मिलान किया जाएगा। उसके बाद ही GSTIMS-1 में इनपुट टैक्स क्रेडिट को आखिरी स्वीकृति मिलेगी। बिलों के मिलाते वक्त सप्लायर को GSTIL, रिसीपिअंट का GSTIN, इनवॉयस या डेबिट नोट डेट, टैक्सेबल वैल्यू, टैक्स अमाउंट का सहारा लेना होगा। इसी मिलान के आधार पर ही इनपुट टैक्स क्रेडिट के क्लेम पर विचार किया जाएगा।