आयकर रिटर्न (ITR) : फॉर्म हुआ 'सहज', बदले 11 नियम
वेतन भोगी (सैलरी बेसिस) तबके के लिये आयकर रिटर्न भरने के लिए अब एक छोटा नया फार्म 1 अप्रैल से मिलेगा।इसके अलावा 1 अप्रैल से आयकर के विभिन्न नियमों में परिवर्तन हो रहे हैं
सरकार ने आयकर रिटर्न भरने वाले लोगों के लिए अब आयकर रिटर्न फॉर्म को और भी सरल बना दिया है। इस फॉर्म को सहज फॉर्म नाम दिया गया है। वेतनभोगी (सैलरी बेसिस) तबके के लिये आयकर रिटर्न भरने के लिए अब एक छोटा नया फार्म 1 अप्रैल से मिलेगा। आयकर विभाग ने इस फार्म में कुछ बिंदुओं को हटा दिया है जिससे यह छोटा और अधिक सरल बन गया है। वेतन और ब्याज आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं के लिए फार्म में सूचना भरने के लिए पहले से कम खाने (ब्लॉक्स) होंगे। आय कटौती के दावों से जुडे कुछ खानों को आईटीआर-1 फार्म में शामिल कर दिया गया है। इसके अलावा 1 अप्रैल से आयकर के विभिन्न नियमों में परिवर्तन हो रहे हैं, यहां हमने विस्तार से इन बदलावों और नए आयकर फॉर्म के बारे में बताया है।
कैसे है नया आयकर का फॉर्म
नए आयकर फार्म का नाम ‘सहज' रखा गया है। जिसमें निर्धारण वर्ष 2017-18 के रिटर्न फार्म में आयकर के अध्याय 6-A के तहत किये जाने वाले विभिन्न कटौती के दावों की जानकारी से जुड़े खाने (ब्लॉक्स) हटा दिया गए हैं और केवल उन्हीं बिंदुओं को इसमें रखा गया है जिन्हें आमतौर पर इस्तेमाल में लाया जाता है।
सिर्फ जरूरी बिंदुओं को किया शामिल
एक अधिकारी ने बताया,जिन बिंदुओं को इस फार्म में शामिल किया गया है उनमें आयकर की धारा 80सी, 80डी के तहत मिलने वाली कटौतियां शामिल है। इसके अलावा जो व्यक्तिगत करदाता अन्य मदों में कर कटौती चाहते हैं वह इसके लिये विकल्प चुनकर जानकारी दे सकते हैं।''
'सहज' फॉर्म है सरल
वर्तमान में जो आईटीआर-1 सहज फार्म है उसमें आयकर अधिनियम की धारा-80 के तहत 18 अलग अलग बिंदु अथवा पंक्तियां हैं। इस धारा के तहत जीवन बीमा, पीपीएफ, सावधि बैंक जमा सहित विभिन्न प्रकार के निवेश एवं बचत पर 1.50 लाख रुपए तक की कटौती का दावा किया जा सकता है।
80C के तहत छूट
इसी प्रकार धारा 80डी के तहत चिकित्सा बीमा प्रीमियम भुगतान की कुल आय में से कटौती का प्रावधान है। अधिकारी ने कहा, फार्म अधिसूचित कर दिये गए हैं और आयकर विभाग के वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। आईटीआर-1 से लेकर आईटीआर 6 तक फार्म उपलब्ध हैं।
अब सिर्फ 5 फीसदी टैक्स का भुगतान
नए वित्त वर्ष में सालाना 2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक कमाने वालों को 10 प्रतिशत की बजाए 5 प्रतिशत टैक्स देना होगा। सरकार का दावा है कि इससे ज्यादातर करदाताओं को 12,500 रुपए तक की सालाना बचत होगी। लेकिन जिन लोगों की वार्षिक आय एक करोड़ या इससे ज्यादा होगी तो उनके कर में लगने वाला सरचार्ज और सेस (उपकर) भी जोड़ दिया जाए तो भी उनकी बचत करीब 15,000 रुपए की होगी।
87A के तहत मिलने वाली छूट में बड़ा बदलाव
आयकर की धारा 87ए के तहत मिलने वाली करों में छूट के नियमों में बदलाव के बाद अब सालाना 3.5 लाख रुपए तक कमाने वालों को ही इसका फायदा मिलेगा। अभी तक 5 लाख रुपए तक की आमदनी वाले कर छूट के तौर पर 5,000 रुपए तक का फायदा पाते थे, लेकिन अब इस छूट की रकम घटाकर 2,500 रुपए कर दी गई है।
आधार नंबर हुआ अनिवार्य
आयकर रिटर्न भरने वालों के लिए एक बड़ा बदलाव यह किया गया है कि अब उन्हें अपना आधार नंबर बताना भी अनिवार्य होगा। उल्लेखनीय है कि पिछले साल तक रिटर्न भरने वालों के लिए आधार नंबर देना ऐच्छिक था। आमतौर पर
10 प्रतिशत सरचार्ज
50 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए सालाना कमाने वालों को टैक्स पर 10 प्रतिशत सरचार्ज अतिरिक्त देना होगा। सुपर रिच समझे जाने वाले या 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वाले लोग पहले से ही 15 प्रतिशत सरचार्ज देते हैं
प्रॉपर्टी निवेशकों को मिलेगी ज्यादा छूट
प्रॉपर्टी के निवेशकों को भी नए वित्त वर्ष से ज्यादा टैक्स छूट मिल सकेगी। अब दीर्घकालिक कैपिटल गेन की गणना के लिए 3 साल की बजाय सिर्फ 2 साल तक ही प्रॉपर्टी रख सकेंगे। नए नियम के तहत 2 साल पुरानी प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्सपेयर्स को इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा। हालांकि अगर कैपिटल गेन का फिर से निवेश किया जाए तो इस टैक्स पर फिर से भी छूट मिल जाएगी
टैक्स देनदारी होगी कम
यही नहीं, इंडेक्सेशन के लिए सरकार ने बेस ईयर या आधार वर्ष भी अब 1 अप्रैल 2001 कर दिया है। पहले यह 1 अप्रैल 1981 था लेकिन इस बदलाव की वजह से प्रॉपर्टी बेचने पर कैपिटल गेन कम होगा जिससे टैक्स देनदारी काफी कम हो जाएगी
राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम में अब टैक्स राहत नहीं मिलेगी
राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम में निवेश करने पर 2017-18 से टैक्स में कोई राहत नहीं मिलेगी। लेकिन जिन लोगों ने वित्त वर्ष 2016-17 तक इसमें निवेश किया होगा, उन्हें स्कीम के नियमों के तहत छूट का फायदा मिलता रहेगा