भारत में शेयर/स्टॉक में निवेश से पहले इन 8 बातों का रखें ध्यान
हम अक्सर स्टॉक ब्रोकर्स और मार्केट एक्सपर्ट्स से शेयर्स के बारे में राय लेते हैं। लेकिन क्या आपने ने किसी एक शेयर का खास विश्लेषण किया है?
हम अक्सर स्टॉक ब्रोकर्स और मार्केट एक्सपर्ट्स से शेयर्स के बारे में राय लेते हैं। लेकिन क्या आपने ने किसी एक शेयर का खास विश्लेषण किया है? कुछ ऐसे मापदंड हैं जिन पर विशेषज्ञ और स्टॉक ब्रोकर्स शेयर का आंकलन करते हैं आप भी इस तरह शेयर्स का विश्लेषण कर सकते हैं। हमेशा ध्यान रखें कि शेयर्स हमारी तरह है यानि कोई भी पूरी तरह परफेक्ट नहीं है, इसलिए आपको एक अच्छा शेयर देखना होगा और उसकी तुलना अन्य स्टॉक्स से करनी होगी। 20 साल पहले हमारे बड़े लोग अखबार में सीमित शेयर्स की जानकारी ही पाते थे। आजकल, आप पब्लिक स्टॉक के बारे में बहुत सारी जानकारी पा सकते हैं जो कि आपको भ्रमित कर सकती है, लेकिन यदि आपको पता है कि आपको सही जानकारी कहां मिलेगी तो आपके लिए अच्छी बात है।
पी/ई (PE) अनुपात
पी/ई अनुपात या कमाने की कीमत पर ध्यान देना सबसे मुख्य बात है। पी/ई अनुपात जानने के लिए आपको ईपीएस निकालना होगा। ईपीएस या अर्निंग पर शेयर, नेट प्रॉफ़िट को शेयर्स की संख्या से विभाजित कर निकाली जाती है। यदि कंपनी ए के 10,000 शेयर हैं इसका नेट प्रोफिट 1 लाख है तो हम कह सकते हैं कि ईपीएस 10 रुपए है। ईपीएस जानने के बाद पी/ई निकालने के लिए हम इसे मार्केट प्राइस से विभाजित करते हैं। इस प्रकार यदि किसी कंपनी का मार्केट प्राइस 100 रुपए और ईपीएस 10 रुपए है तो हम कह सकते हैं की उसका पी/ई 10 है।
प्रमोटर होल्डिंग
यदि किसी शेयर में प्रमोटर होल्डिंग ज़्यादा है, तो यह अच्छा संकेत है। बहुत सी कंपनियां जैसे विप्रो में प्रमोटर होल्डिंग 75 प्रतिशत से ज़्यादा है। इसलिए प्रमोटर होल्डिंग पर भी ध्यान दें।
शेयर गिरवी रखना
आजकल प्रमोटर्स लोन लेने के लिए शेयर्स को गिरवी रखते हैं। यदि आपको पता चलता है कि इस कंपनी ने प्रमोटर होल्डिंग गिरवी रखी हुई है, तो ऐसे कंपनी के शेयर नहीं खरीदना ही बेहतर होगा। ऐसी कंपनी देखें जिसने प्रमोटर होल्डिंग को गिरवी नहीं रखा है।
भाग प्रतिफल (डिविडेंड यील्ड)
यदि कोई कंपनी प्रतिफल या लाभांश नहीं दे रही है तो उसका शेयर ना खरीदें। ये डिविडेंड यील्ड एक प्रतिफल है जो आपकी खरीद के निर्णय के बाद मिलता है। कोल इंडिया जैसा स्टॉक लगभग 8 प्रतिशत का डिविडेंड यील्ड देता है। यदि आप 305 रुपए में शेयर खरीदते हैं, तो कंपनी 27 रुपए जितना रिटर्न बैक प्रतिफल के रूप में देती है। फिर भी, ज़्यादा प्रतिफल का मतलब यह नहीं है आपके शेयर की कीमत हमेशा ज़्यादा ही हो।
नकदी प्रवाह (कैश फ्लो)
स्टॉक्स में प्रोजिटिव कैश फ्लो बेहतर होता है। ऐसी कंपनियाँ देखें जिनका कैश फ्लो पॉज़िटिव हो। कैश फ्लो समान्य बिजनेस ऑपरेशन है। देखें कि कैश फ्लो अन्य तरीकों से बढ़ा है क्या।
वैल्यू बुक करने की कीमत
वैल्यू बुक करने की कीमत भी भारत में शेयर को समझने का तरीका है। फिर भी आपको यहां बहुत ध्यान देने की ज़रूरत है। उदाहरण के लिए, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक 0.5 टाइम्स के प्राइस टू बुक वैल्यू पर ट्रेडिंग करते हैं। फिर भी, नुकसान के कारण बुक वैल्यू समय के अनुसार कम हो सकती है। इसलिए आपको ध्यान रखना होगा।
नेट प्रोफिट ग्रोथ
एचडीएफ़सी बैंक का प्रीमियम शानदार है। ऐसा इसलिए होता है क्यों कि कंपनी की तिमाही ग्रोथ 20 से 25 प्रतिशत तक होती है। शानदार ग्रोथ के कारण पी/ई कई गुना बढ़ जाता है। यदि किसी कंपनी का नेट प्रोफिट इंडस्ट्री स्टेंडर्ड से अधिक बढ़ रहा है तो ऐसे स्टॉक का प्रीमियम देना चाहिए।
कंपनी जिसे आप जानते हैं
हमेशा ऐसी कंपनी से शुरुआत करें जिसके बारे में आप जानते हों और समझते हों कि कंपनी कमाने के लिए कैसा प्लान बनाएगी। यदि आप उसके बारे में नहीं जानते हैं तो जोखिम है। एक स्थापित कंपनी जो धीरे ग्रो कर रही है उसका शेयर सस्ता होगा बजाय की कंपनी जिसके शानदार ग्रोथ की आशा की जा रही है। कंपनी की कीमत और कमाई को उस इंडस्ट्री की अन्य कंपनियों के साथ तुलना करें कि यह सस्ता है या महंगा।