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पोस्‍ट ऑफिस बचत खाता होने पर जानिए 5 बातें

By Ajay Mohan
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भारत सरकार के द्वारा पोस्‍टऑफिस की कई योजनाएं चलाईं जाती हैं जो वरिष्‍ठ नागरिकों के बीच काफी सुरक्षित मानी जाती है और इनके जोखिम भी नगण्‍य होते हैं। पोस्‍ट ऑफिस में कई बचत योजनाओं में कर से भी छूट मिलती है और इन खातों को शहरों में ट्रांसफर भी किया जा सकता है।

पढ़ें- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ): जानने योग्‍य 5 तथ्‍य

पोस्‍ट ऑफिस बचत खाता होने पर जानिए 5 बातें

डाकघर योजनाएं, आमतौर पर लोगों के निवेश पर गारंटी रिटर्न देती हैं जिसमें किसी प्रकार का कोई जोखिम नहीं होता है।

1) खातों और प्रमाणपत्रों का स्‍थानांतरण

जो लोग अपने खातों और प्रमाणपत्रो को ट्रांसफर करवाना चाहते हैं उन्‍हें [SB10(b)] फॉर्म या एक आवेदन पत्र लिखकर देना होता है। इसे, जहां ट्रांसफर करवाना हो या जहां से ट्रांसफर करवाना हो, वहां दिया जाता है। प्रमाणपत्रों को स्‍थानांतरित करवाने के लिए फार्म [NC32] भरकर जमा करना होता है। इसे भी इन्‍हीं में से किसी एक ऑफिस में दिया जा सकता है।

2) साईलेंट एकाउंट

अगर किसी भी बचत खाते में 3 वित्‍तीय वर्ष तक कोई लेन-देन नहीं होता है तो उसे साईलेंट खाता मान लिया जाता है। बाद में, उस खाते को एक्टिवेट करने के लिए, आवेदक को फिर से आवेदन करना पड़ता है। अगर साइलेंट एकाउंट में बैलेंस, न्‍यूनतम राशि से कम होता है तो 20 रूपए, सेवा शुल्‍क के काट लिए जाते हैं।

3) डुप्‍लीकेट प्रमाणपत्र को जारी करवाना

डाकघर से डुप्‍लीकेट प्रमाणपत्र को जारी करवाने के लिए, निवेशक को खोने, चोरी हो जाने, नष्‍ट हो जाने या खराब प्रमाणपत्र के संदर्भ में डुप्‍लीकेट प्रमाणपत्र के लिए फॉर्म भरकर देना होता है। आवेदन को एक या एक से अधिक श्‍योरिटी या जिसमें बैंक गारंटी की आवश्‍यकता होती है; के साथ निर्धारित फॉर्म में एक क्षतिपूर्ति बांड के साथ और प्रमाणपत्रों के ब्‍यौरे के साथ संलग्‍न किया जाना चाहिए। अगर आवेदन पत्र के साथ विरूपित प्रमाणपत्रों को लगाया जाता है तो क्षतिपूर्ति बांड की आवश्‍यकता नहीं पड़ती है।

4) मृतक के खाते की राशि का दावा करना

अगर किसी खाता धारक की मृत्‍यु हो जाती है तो उस खाते का नॉमिनी या कानूनी वारिस, उस खाते की राशि का हक़दार होगा। अगर नॉमिनी का नाम पहले से खाते में हैं तो उसे सिर्फ एक आवेदन पत्र के साथ मृत्‍यु प्रमाणपत्र देना होता है। कानूनी वारिस होने की दशा में, फार्म [SB84] भरकर देना होता है।

इस मृत्‍यु प्रमाणपत्र के लिए और सभी कानूनी उत्‍तराधिकारियों के सहमति प्रपत्र, आवश्‍यक होते हैं। एक लाख रूपए तक का दावा, निपटान किया जा सकता है। अगर दावा एक लाख रूपए से ऊपर का है, तो दावा, कानूनी सबूत के द्वारा तय किया जाता है जिसके लिए वारिस होने का प्रमाणपत्र चाहिए होता है।

5) नाबालिग खाता / अवयस्‍क खाता

10 साल तक के बच्‍चे के नाम पर अवयस्‍क खाता, डाकघर में खोला जा सकता है।

English summary

Post Office Savings Account: 5 Things To Know

Post office schemes are offered by the Government of India and are very popular among senior citizens and risk averse individuals as these schemes are considered highly secure.
Story first published: Friday, January 8, 2016, 16:42 [IST]
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