कॉपोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट से जुड़ी 6 जरूरी बातें
कॉरपोरेट फिक्सड डिपाजिट भी बैंक की फिक्सड डिपाजिट की तरह होती है, जहां धन का निवेश कारपोरेट में किया जाता है, बैंकों में नहीं। वित्तीय संस्थान और नॉन बैंकिग फाइनेंस कम्पनियां भी इस तरह की डिपाजिट लेती है। फिक्सड डिपाजिट स्कीम दो तरह की होती है- एक कुमुलेटिव ओर दूसरी नॉन कुमुलेटिक फिक्सड डिपाजिट स्कीम।
यदि आप कॉरपोरेट फिक्सड डिपाजिट में धन के निवेश की योजना बना रहे हैं, तो आपको छ: पोइंटस की जानकारी आवश्यक है।
इस निवेश में जोखिम रहती है
बैंको की फिक्सड़ डिपोजिट की तुलना में कारपोरेट फिक्सड़ डिपोजिट में निवेश में जोखिम की सम्भावना ज्यादा रहती है, क्योंकि इसके पीछे किसी इंशोरेंस एक्ट की गारन्टी नहीं होती, जबकि बैंकों की एक लाख रुपये तक की फिक्सड़ डिपाजिट स्कीम को डिपोसिट इंश्योंरेस क्रेडिट गारन्टी कारपारेशन द्वारा गारन्टी दी जाती है।
ब्याज की दर
बैंको की फिक्सड डिपोजिट की तुलना में कॉरपोरेट फिक्सड डिपाजिट की ब्याज की दर ज्यादा होती है।
ब्याज के भुगतान की निरन्तरता
जिस मोड का चयन किया जाता है, उसके अनुसार ब्याज का भुगतान- मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक, वार्षिक या परिपक्कता अवधि पर देय होता है।
अपरिपक्कता पर धन निकासी
कोर्इ भी व्यक्ति कॉरपोरेट फिक्सड़ डिपाजिट से इसकी परिपक्कता की अवधि के पूर्व ही धन की निकासी कर सकता हैं, किन्तु इसके लिए जो अतिरिक्त चार्जेज निर्धारित किये जाते हैं, वे देने होंते हैं।
परिपक्कता के पूर्व भुगतान
परिपक्कता के पूर्व भुगतान लेने पर ब्याज देय नहीं होता है। यदि छ: माह की अवधि के भीतर ही कॉरपोरेट फिक्स डिपाजिट से भुगतान ले लिया जाता है, तो इस पर ब्याज देय नहीं होता है।
क्रेडिट रेटिंग
यदि कॉरपोरेट फिक्सड़ डिपाजिट की रेटिंग अच्छी होती है, तो कम्पनी अपने उत्तरदायित्व को निभाते हुए मूल धन और ब्याज का भुगतान समय पर कर देती है।