खतरों से भरा है सोने में निवेश करना, जानिए 7 कारण
भारतीय सभी सम्भव अवसरों पर सोने में निवेश करते हैं, ये वे लोग हैं जिन्हें लगता है कि सोने से बेहतर निवेश किसी में हो ही नहीं सकता। जबकि सच तो यह है कि सोने में निवेश करना भी खतरे से खाली नहीं। हां अगर आप आभूषण के रूप में लेना चाहते हैं, तब तो अच्छा है, लेकिन इन्वेस्टमेंट के लिये सोना अच्छा विकल्प नहीं है। यह लगभग उसी कंपनी के शेयर की तरह है, जिसके उछाल के इंतजार में लोग सालों गवा देते हैं।
आप अपने शहर के पिछले कुछ सालों के सोने के उतार चढ़ाव को नोट करें। ऐसा करने पर आपकों ज्ञात होगा कि पिछले दो सालों में मुद्रास्फिति अधिक बढ़ी है, जिसके अनुपात में सोने के भाव नहीं बढं। हैं। अर्थात आपने सोने में निवेश किया है, वह लाभ के बजाय आपको हानि ही दे रहा है।
सभी निवेश जोखिमयुक्त होते हैं, परन्तु सोने में निवेश को युक्तियुक्त कारण नहीं माना जा सकता, फिर कोर्इ क्यों सोने में निवेश करें। हॉं, सोने में निवेश से तुरन्त रिटर्न उस समय मिल सकता है, जब विश्व में अनिश्चित आर्थिक परिस्थितियां पैदा होती है। जैसा कि लेहम्न ब्रदर्श संकट के दौरान हुआ, जब निवेशकों ने शेयर बेच कर सोने में निवेश किया था।
जब आर्थिक स्थिति में सुधार कें संकेत आते हैं, तब सोने को पुन: बैचा जा सकता है। अब वह स्थिति आ गर्इ है। कोर्इ भी अपनी जरुरत के हिसाब से सोने में निवेश कर सकता है। सोने के भाव अनतरराष्ट्रीय बुल मार्केट से तय होते हैं और इसमें प्रतिदिन घटत-बढ़त होती रहती है, जिससे सोने में निवेश प्रभावित होता है।
चलिये स्लाइडर में बात करते हैं किन कारणों से सोने में निवेश करना खतरों से भरा है-
सोने के आभूषण
सोने के आभूषणों में निवेश को बुद्धिमतापूर्ण निवेश नहीं माना जा सकता। जब भी हम ज्वेलरी बनवाते हैं तब हमें उसे बनाने के लिए ज्वेलर को इसे बनाने के चार्जेंज देने रहते हैं और वह इस पर वेस्टेज भी काटता है। डिजाइन के आधार पर ज्वेलरी बनाने के ज्यादा चार्जेज भी देने पड़ सकते हैं। आभुषण बार्इस केरेट सोने में बनते हैं। अत: जब इन्हें बेचने जायेंगे तो 22 केरेट सोने के भाव ही मिलेंगे और बनाने के चार्जेंज और वेस्टेज की लागत नहीं मिलेगी।
सोने का सिक्का
सोने के सिक्के या सोने के बार में निवेश का मतलब है, जब भी इसे आप बैचने जायेंगे आपको इसके कम दाम ही मिलेंगे। एक बात और ध्यान रखें कि बैंक सोने के सिक्के और बार को पुन: नहीं खरीदते हैं।
र्इटीएफ गोल्ड
भौतिक रुप से सोना खरीदने के बजाय र्इटीएफ गोल्ड निवेश में थोड़ा ज्यादा खर्च करना पड़ता है, क्योंकि जो संबंधित मैनेजमेंट हाऊस, इस पर मैनेजमेंट फी वसूलते हैं। इसके अलावा आपको इस पर ब्रोकरजे भी देना पड़ता है, जिससे गोल्ड र्इटीएफ यूनीट की लागत बढ़ जाती है।
नियमित आय
रियल स्टेट, शेयर और म्युचल फंड में निवेश से किराये या डिविडेंड के रुप में नियमित आय होती है, किन्तु सोने में निवेश से कोर्इ नियमित आय नहीं होती।
सोने को रखने की जोखिम
सोने को घर में रखना बहुत बड़ी समस्या हैं। जब हम इसे बैंक के लॉकर में रखते हैं, तब जब भी जरुरत होती है भाग कर बैंक जाना पड़ता है। बैंक में फिक्स डिपाजिट कराना रहता है और लॉकर का प्रतिवर्ष किराया भी देना पड़ता है। जब कि बैंक की विभिन्न फिक्स डिपाजिट में ऐसी कोर्इ झंझट नहीं रहती।
तरलता
सोने के प्रति भारतीयों का भावात्मक लगाव रहता है। ऐसे माना जाता है कि बुरे वक्त पर सोना ही काम आता है। यही सोने में निवेश का एक छुपा हुआ कारण है। अनिश्चित और अपरिहार्य परिस्थतियों में सोना काम आता है, इसी धारण से सोने में निवेश किया जाता है।
सोने के अन्तरराष्ट्रीय भावों का प्रभाव
भारत में सोने का भाव विश्व बूल मार्केट के आधार पर निर्धारित होता है, जिसमें वैश्विक परिस्थितियां भी एक कारक होती हैं। विश्व में जो आर्थिक और राजीनतिक परिस्थितियां पैदा होती है, उससे भारत में सोने का भाव प्रभावित होता है। अमरीकी डॉलर सोने के भाव निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब भी डालर मजबूत होता है सोने के भाव गिर जाते हैं।