क्या वाकई में आपको प्रधानमंत्री योजनाएं लेनी चाहिये?
भारत सरकार ने दिनांक 9 मर्इ, 2015 को तीन सामाजिक सुरक्षा योजनाएं जारी की है । इन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का उद्धेश्य सभी भारतीयों को इंश्योरेंश प्लान के तहत लाना है, किन्तु अधिकांश इन योजनाओं से लाभान्वित नहीं होंते हैं। ये सामाजिक सुरक्षा योजनाएं है- प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और अटल पेंशन योजना।
क्या वाकई में ये योजनाएं आपको लेनी चाहिये? क्या वाकई में आपको इन योजनाओं से लाभ मिलेगा? या फिर क्या वाकई में ये योजनाएं आपके लायक हैं? इन सभी सवालों के उत्तर आपको यहां मिलेंगे।
आइये यह समझें कि ये योजनाएं क्या देती है:-
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
इस योजना के तहत यदि किसी व्यक्ति की दुर्घटना से अकस्मात मृत्यु हो जाती है या वह पूर्ण रुप से विकलांग हो जाता है तब 2 लाख रुपये की बीमा राशि देय होगी और आंशिक विकलांगता की स्थिति में एक लाख रुपये की राशि देय होगी। यह राशि मेडीक्लेम योजना के तहत दी जाने वाली राशि से कम से कम दस गुणा ज्यादा होनी चाहिये। सामाजिक सुरक्षा के लिए रखी गर्इ दो लाख रुपये की राशि बहुत कम है, जो गांवों में रहने वाले लोगों के लिए भी अपर्याप्त है।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
इस योजना के तहत किसी भी कारण से मृत्यु हो जाने पर दो लाख रुपये की राशि देय होती है। किसी भी जीवन बीमा की राशि इतनी तो होनी चाहिये, जिससे आश्रितों की आर्थिक जरुरतों को ज्यादा समय तक भविष्य में पूरी की जा सके। जब कमाने वाला ही नहीं रहता है, तब उस परिवार के लिए दो लाख रुपये की सहायता राशि बहुत कम होती है।
अटल पेंशन योजना
यह सरकार द्वारा दी जाने वाली गारन्टेड पेंशन योजना हैं। जो व्यक्ति इस योजना में निवेश करता है उसे 1000 से 5000 तक की रेंज मे गारन्टेड़ पेंशन देय होगी। परन्तु इस को ले कर प्रश्न यह उठता है कि क्या सेवा निवृति के बाद यह छोटी सी राशि पर्याप्त होगी ? प्रोविडेंट फंड, इक्वीटी और एनपीएस में निवेश करना इससे अच्छा विकल्प हो सकता है।
फिर ये योजनाएं किसे लेनी चाहिये?
इन योजनाओं के तहत बहुत कम राशि का जीवन बीमा कवर होता है। यह आर्थिक सहायता मध्यमवर्ग और उच्च वर्ग के व्यक्तियों के लिए उपयुक्त नहीं है। ये योजनाएं उन अति निर्धन व्यक्तियों को ध्यान में रख कर बनार्इ गर्इ है, जिन्हें जीवन सुरक्षा बीमा के संबंध में कोर्इ जानकारी नहीं है। ऐसे व्यक्तियों को सामाजिक सुरक्षा देना सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।