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अपने CTC, सैलरी ब्रेक के बारे में जानिए विस्तार से

By Super
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यदि आप पहली बार किसी कम्पनी में जाइन कर रहे हैं या अपना जॉब बदल रहे हैं तो आपके लिए सीटीसी (कर्मचारी पर किये जाने वाले पूरे खर्च की लागत) और घर पर आप कितना वेतन ले कर जायेंगे, इसके अंतर के बारें में समझना आवश्यक है। यह जानकारी एचआर के साथ आपके वेतन स्ट्रक्चर और सीटीसी के संबंध में की जाने वाली बातचित में मददगार होगी।

अपने CTC, सैलरी ब्रेक के बारे में जानिए विस्तार से

एक कर्मचारी पर कम्पनी कितना खर्च करती है, इसे नहीं समझा जाता है। समान्यता हम कम्पनी की शर्तों को ही समझते हैं। सीटीसी का निर्धारण कर्मचारी के लिए कम्पनी करती है और वेतन जो कर्मचारी घर ले जाता है, उसमें अंतर होता है। वार्षिक सीटीसी वृद्धि होती है, इसका आशय यह नहीं हैं कि कर्मचारी का मासिक वेतन भी बढ़ गया है।

वास्तव में यह सीटीसी क्या होता है और आपकी पात्रता क्या है? इस आलेख में सीटीसी और वेतन स्ट्रक्चर के संबंध में अक्सर जो भ्रान्तियां पैदा होती है, उसको स्पष्ट किया गया है।

कम्पनी की कागज पर आने वाली लागत (डिमाइस्टीफाइड कॉस्ट ऑफ कम्पनी)

रवि एक फ्रेस साफटवेअर ग्रेज्युएट है, जो एक पसिद्ध आर्इ.टी. कम्पनी में नियुक्ति पाता है। अपने पहले ही जॉब में 6 लाख का पैकेज पा कर वह बहुत खुश हुआ। पैकेज को आधार मान कर उसने पहले महीने के वेतन को खर्च करने का शानदार प्लान बना लिया।

प्लान के अनुसार वह परिवार के लिए कोर्इ महंगी गिफ्ट लेगा। एक चमकती नर्इ बार्इक लेगा। नया मोइबाइल फोन लेगा। परन्तु जब पहली तनख्वाह उसके हाथ में आर्इ तो उसे लगा कि अपने सारे प्लान को पूरा करने में समय लगेगा। उसे घर ले जाने के लिए जो पहला वेतन मिला था, वह उसके अनुमान से कम था।

उसने एचआर से सम्पर्क किया। एच आर ने उसे सीटीसी का ब्रेक अपसमझाया, जिसे उसने जॉइनिंग के समय सरसरी दृष्टि से ही देखा था और उस पर विशेष ध्यान नहीं दिया था।

कम्पनी की लागत से तात्पर्य है

कम्पनी एक कर्मचारी पर कितना व्यय करती है। इसमें कर्मचारी को दिये जाने वाला मौद्रिक लाभ व अमौद्रिक लाभ जैसे - मासिक वेतन, ट्रेनिंग कास्ट, आवासीय सुविधा, टेलिफोन, चिकित्सा व्ययपूतिपूर्ति व अन्य खर्च, जो एक कर्मचारी पर कम्पनी द्वारा किये जाते हैं। अत: सीटीसी का मतलब प्रति माह मिलने वाला वेतन नही हैं, जो हाथ में आता है। मासिक वेतन तथा अन्य लाभ जो कर्मचारी को दिये जाते हैं, उसके जोड़ से ही सीटीसी बनता है।

सीटीसी के भाग (कम्पोनेंटस):

कम्पनियों के साथ कर्मचारी पूरी तरह मानसिक रुप से जुड़े रहें, इसके लिए कर्इ आकृषक प्रावधान सीटीसी में किये जाते हैं। वेतन के कुछ भाग को ऐसा रखा जाता है, जिस पर आय कर कटता है, किन्तु कुछ भाग को ऐसा रखा जाता हैं, जिस पर आयकर पर छूट होती है। आपके सीटीसी के कम्पोनेन्टस और उसे जिस ग्रुप में राखा जा सकता है, वे ये हैं:-

1) फिक्सड़ सैलेरी (निश्चित वेतन): यह सीटीसी का बड़ा भाग होता है, जिसे आप घर ले जाता हैं, इसमें निम्न कम्पोनेंन्टस होते हैं-

  • मूल वेतन (बेसिक सैलरी): कम्पनी को सेवा देने के लिए मूल वेतन दिया जाता हैं, जिस पर आयकर की छूट नहीं है।
  • महंगार्इ भत्ता: यह कर्मचारी का जीवनस्तर सुधारने के लिए होता है, जिस पर आयकर कटता है।
  • मकान किराया भत्ता (एचआरए): यदि आप महानगर में रहते हैं तो मूल वेतन और महंगार्इ भत्ते की जोड़ का 50 प्रतिशत भाग तथा अन्य शहरों में रहते हैं, तो इसक 40 प्रतिशत मकान किराया भत्ते के रुप में दिया जाता है।
  • कन्वेंयस अलाउंस: यह भत्ता आने जाने के लिए दिया जाता है, जो 800 रुपये प्रतिमाह हो सकता है, जिसपर आयकर की छूट होती है।

2 ) पुर्नभुगतान (रिअंबरसमेंट): यह सीटीसी का वह भाग होता है, जिसके लिए आप बिल देते हैं और कम्पनी द्वारा उसका भुगतान किया जाता है।

  • खाने के सामान खरीदने के कूपन : कुछ कम्पनियां अपने कर्मचारियों को खाने का सामान सस्ती दर पर खरीदने के लिए कूपन देती है।
  • केफेटेरिया: इस प्रावधान के तहत कर्मचारियों को सस्ती दर पर खाना उपलब्ध कराया जाता है, जिसका भार कम्पनी स्वयं उठाती है, जो सीटीसी का एक भाग होता है। यदि इसके लिए नकदराशि नहीं दी जाती है, तो इस पर आयकर नहीं कटता है।
  • मोबाइल/टेलिफोन बिल: बहुत सारी कम्पनियां कर्मचारियों के मोबाइल/टेलिफोन बिलों का एक निश्चित राशि, जो निर्धारित की जाती है, का क्लेम करने पर पुर्नभुगतान (रिएंबरसमेंट) करती है। इस भुगतान पर आयकर की छूट नही होती है।
  • चिकित्सा व्ययप्रतिपूर्ति (मेडिकल रिअंबरसमेंट): चिकित्सा व दवार्इयों पर किये गये खर्च को प्रतिमाह या वर्ष में एक बार भुगतान किया जाता है, जिसे टेक्सेबल इन्कम माना जाता हैं, किन्तु यदि बिल दिये जाये तो 15000 रुपये तक की राशि पर आयकर की छूट दी जाती है।

3) सेवानिवृति लाभ: यह लाभ सेवानिवृति या कम्पनी सेवाओं से त्यागपत्र देने पर मिलते हैं

  • भविष्य निधि: कर्मचारी के वेतन से भविष्य निधि फंड के लिए 12 प्रतिशत राशि प्रतिमाह कटती है, जिसका बराबर भाग नियोक्ता मिलाता है। नियोक्ता द्वारा जोड़ी गयी यह राशि सेवानिवृति या त्यागपत्र देने पर ही मिलती है। नियोक्ता द्वारा दिये गये अंशदान की राशि और इस पर आने वाले खर्च को सीटीसी में जोड़ा जाता है।
  • सेवाउपदान (ग्रेज्युएटी) : नियोक्ता इंश्योरेंस कम्पनियों के साथ मिल कर इस फंड की व्यवस्था करता है। नियोक्ता द्वारा सेवाउपदान के लिए रखे गये फंड़ के वार्षिक भाग को सीटीसी में जोड़ा जाता है, जिसे कभी-कभी सीटीसी में दिखाया जाता है।

4) अन्य लाभ और सुविधाएं

  • अवकाशकालिन यात्रा प्रभार (एलटीसी ): यह वह भार हैं, जिसमें कर्मचारियों को अवकाश ले कर यात्रा करने की सुविधा कम्पनी द्वारा दी जाती है। यदि चार वर्ष के एक ब्लॉक में दो बार इस सुविधा को कर्मचारी लेता है, तब किये जाने वाले खर्च पर आयकर की छूट होती है।
  • चिकित्सा भत्ता(मेडिकल अलाउंस): कुछ कम्पनियां स्वास्थय का ध्यान रखने के लिए अपने कर्मचारियों तथा उनके परिवार के सदस्यों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराती है। इस सुविधा पर जो खर्च आता है, उसे सीटीसी में जोड़ा जाता है।
  • पेंशन और इंश्योरेन्स किश्त के लिए सहयोग: कर्मचारी के स्वास्थय के लिए कराया जाने वाले बीमे के प्रिमियम तथा पेंशन स्कीम के लिए दी जाने वाली राशि का भुगतान कम्पनी द्वारा किया जाता है, उसे सीटीसी में जोड़ा जाता है।
  • अन्य अतिरिक्त लाभ: विद्युत प्रभार, नौकर, मकान के फर्निचर, क्रेडिट कार्ड़ व रहने के लिए आवासीय मकान जैसी सुविधा भी कर्मचारियों को कम्पनी द्वारा उपलब्ध करार्इ जाती है। इस खर्च को सीटीसी में जोड़ा जाता है।
  • निश्चित वार्षिक बोनस (फिक्सड़ अनअुल बोनस): कर्मचारियों की कार्यक्षमता के आंकलन के अनुसार प्रतिमाह या कुछ मामलों में वर्ष में एक बार बोनस का भुगतान किया जाता है, जो पूरी तरह टेक्सेबल होता है।
  • उत्पादकता से जोड़ा गया परिर्वतित बोनस (प्रोडक्टीविटी लिंकड वेरिएबल बोनस): उत्पादकता के टोर्गेट को यदि सौ प्रतिशत पूरा कर लिया जाता है, तब इस बोनस का भुगतान किया जाता है, जो परिवर्ततित होता है, इसे सीटीसी का एक भाग माना जाता है।

अब आपको समझ में आ गया होगा कि सीटीसी क्या होता है

प्रत्येक कम्पनी लागत की गणना अलग-अलग तरह से करती है। अब रवि की ही बात करें, जिसके उदाहरण से यह समझा जा सकता है कि जरुरी नहीं की सीटीसी देख कर प्रमिमाह हम एक लुभावनी राशि वेतन के रुप में घर ले जा सकते हैं। यह बात रवि को अब समझ आयी कि ट्रेनिंग और डेवलपमेंट के लिए जो कम्पनी ने उस पर खर्च किया था, वह सीटीसी का एक भाग था।

अत: सीटीसी के ब्रेक अप को अच्छी तरह समझें, ताकि आपको जानकारी मिल सकें कि आपको क्या लाभ दिये जा रहे हैं जिससे आपको अपनी पात्रता की सही जानकारी मिल सकें।

यदि आपने अभी-अभी किसी कम्पनी में जोइन किया है तो सीटीसी के ब्रेक अप को देख कर एचआर से इस बात के लिए बातचित कर सकते हैं कि उसके वेतन के उस भाग को बढ़ाया जाये, जिसे वह प्रतिमाह घर ले जा सके।

English summary

Understanding CTC and Your Salary Breakup

Whether you are joining your first job or changing jobs, it is important to understand the difference between Cost To Company (CTC) and take home salary.
Story first published: Tuesday, May 5, 2015, 18:34 [IST]
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