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अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी SMEs को लोन क्यों नहीं देते बैंक

By Anil Kumar
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देश में छोटे व्यवसाय करने वालों की तादाद सबसे ज्यादा है। यह एक सच्चाई है कि आज के दौर में देश रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राजेज को आगे बढ़ने के लिए बहुत कम ही बैंक लोन की सुविधा देते हैं। क्योंकि सरकारी बैंकों की ओर से दिया जाने वाला लोन ज्यादातर कॉरपोरेट सेक्टर के पास जाता है।

अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी SMEs लोन क्यों नहीं देते बैंक?

जैसे कि प्रोफेसर वैद्यानथन ने अपनी किताब इंडिया अनइंक में लिखा है कि नॉन कॉरपोरेट सेक्टर या कहें छोटे व्यवसायिक इकाइयों को सरकारी बैंकों की ओर से वित्तीय सहायता आसानी से नहीं मिल पाती। वहीं, रेटिंग एजेंसी के निदेशक सलिल चतुर्वेदी का भी लगभग यही कहना है। चतुर्वैदी ने एक पत्रिका को दिए अपने साक्षात्कार में कहा है कि देश में 69 मीलियन लोग अपनी रोजी-रोटी छोटी व्यवसायिक इकाइयों से ही चला पा रहे हैं। आपको बता दें कि सरकार को भी कॉरपोरेट सेक्टर से ज्यादा आय टैक्स व बचत के रूप में इन्ही छोटी इकाइयों से प्राप्त होते हैं।

इसको देखते हुए भारतीय रेटिंग एजेंसी क्रिसिल एक ऐसी स्मॉल एंड मीडियम स्तर पर व्यवसायिक इकाइयों के लिए भी रेटिंग की सुविधा ला रही है जिससे इन छोटे स्तर की व्यवसायिक इकाइयों की मजबूत साख का खुलासा हो सकेगा। जिससे भारतीय बाजार में इनके लिए अच्छे ऑप्शन खुलेंगे साथ ही बैंक भी उन्हें लोन देंगे। सलिल चतुर्वैदी का मानना है कि एसएमई स्तर की इकाइयों को वित्तीय सुविधा दने की जरूरत है जिससे यह और भी मजबूत हो सके।

English summary

SME's Role in our economic growth

SME's Role in our economic growth.
Story first published: Monday, August 18, 2014, 17:12 [IST]
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