'छोटे काम बड़ी बचत'
नॉन कॉरपोरेट व गैर सरकारी और मध्यम स्तर व्यवसाय करने वाले हमारे देश में सबसे ज्यादा हैं। इसलिए उनका योगदान देश की राष्ट्रीय आय में सबसे ज्यादा होता है। इस बात की ओर इशारा किया है आईआईएम बेंगलोर के पूर्व प्रोफेसर आर. वैद्यानाथन ने अपनी किताब 'इंडिया अनइंक' में। आइए जानते हैं कि कैसे छोटे काम बड़ी बचत करते हैं-
देश में मध्यम वर्ग सर्वाधिक रहते हैं। जो मीडियम स्तर के काम व व्यवसाय करते हैं। लेकिन सरकारी व्यवस्था में मध्यम वर्ग की ओर से किया जाने वाले छोटे व्यवसाय और काम आदि से होने वाली बचत की भूमिका को अहमियत नहीं दी गई है। ज्यादातर यह सोचा जाता है कि मध्यम स्तर के व्यवसाय, गैर सरकारी और नॉन कॉरकोरेट स्तर के व्यवसाय राष्ट्रीय आय में कम योगदान देते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है।
प्रोफेसर आर. वैद्यानाथन के मुताबिक लो प्रोफाइल, बिग सेवर्स होते हैं। मतलब कि छोटे व्यवसाय करने वाले ही अधिक बचत करने वाले होते हैं। उन्होंने बताया है कि देश में 70 फीसदी नॉन कॉरपोरेट सेक्टर हैं। नॉन कॉरपोरेट ऐसे सेक्टर होते हैं जो कम्पनी के रूप में रजिस्टर्ड नहीं होते और जिनको रिजस्टर्ड करने की जरूरत नहीं होती। जिन कामों को ज्यादातर लोग अपनी जीविका को चलाने के लिए करते हैं। इसे आप असंगठित क्षेत्र भी कह सकते हैं। इसमें घरेलू ऐसे काम-काज भी शामिल होते हैं जिनसे आय प्राप्ती होती है।
साठ के दशक में हमारे देश की राष्ट्रीय आय में बचत का हिस्सा केवल 8 फीसदी था। जो बढ़कर आज बढ़कर तीस फीसदी पर आ गया है। इस तीस फीसदी बचत के हिस्से में सबसे ज्यादा आय बचत छोटे या कहें घरेलू या कहें नॉन कॉरपोरेट सेक्टर से आती है। आंकड़ों की बात करें तो राष्ट्रीय आय में सरकारी क्षेत्र से प्राप्त होने वाली बचत 1.3 फीसदी है। वहीं राष्ट्रीय आय में 7 फीसदी बचत का हिस्सा प्राइवेट कॉरपोरेट क्षेत्र से प्राप्त होता है। वहीं सबसे ज्यादा 23 फीसदी आय-बचत नॉन कॉरपोरेट सेक्टर या मझोले व्यवसायों से प्राप्त होती है। इस पर प्रो. वैद्यानथन के मुताबिक 70-80 फीसदी आय बचत देश को इन्हीं मझोलो स्तर के व्यवसायों से प्राप्त होती है।
कौन से हैं यह व्यवसायः
-अपना खुद का व्यवसाय जैसे कोई शॉप या दुकान
-एजेंट्स
-चार्टर्ड अकाउंटेंट
-अर्कटेक्ट/वस्तुकार
-वकील
-कॉपरेटिव सोसायटी (गैर सरकरी)
-पार्टनर शिप फर्म्स
-प्लंबर्स व्यवसाय
-कारपेंट व्यवसाय
-इत्यादी
-और गैर सरकारी व्यवसाय इत्यादि