For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

इसे पढ़ने के बाद आपको बड़ा निवेश करने में डर नहीं लगेगा

By Anil Kumar
|

इसे पढ़ने के बाद आपको बड़ा निवेश करने में डर नहीं लगेगा
{अनिल कुमार}अकसर देखने में आता है कि यदि कोई बड़ा निवेश करने आप जा रहे हैं या कोई व्यवसाय की शुरूआत करने जा रहे हैं तो आपको जौखिम का भय पहले ही सताने लगता है। यहां एक अलग जोखिम की बात हो रही है। उस जोखिम की जो किसी संगठन या व्यवसाय को शुरू करने से उठाया जाता है। अकसर देखा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति अपना व्यवसाय शुरू करने की सोचता है तो उसे नुकसान होने या बरबाद होने का भय सताता है।

इस भय को मनोविज्ञान में निगेटीविटी भी कहते है। थोड़ा इस पर जोर दिया जाए तो समझ आता है कि जो भय किसी काम को शुरू करने से पहले सताता है। वो कहीं ना कहीं अर्व्यवस्था से जुड़ा होता है। भारतीय अर्थव्यवस्था एक विकासशील अर्थव्यवस्था है। जहां समस्याए ज्याद और समाधान कम हैं। पर यहां सवाल मुह फाड़कर खड़ा है कि यहां समस्याए ज्यादा और समाधान कम क्यो हैं?

 

इसका कारण

इसका कारण सीधा ससझ आता है कि समाधान करने की इच्छा शक्ति खत्म होती जा रही है और जिससे रूची कम हो रही है।बैरोजगारी भारतीय अर्थव्यवस्था की एक बड़ी समस्या है। यह समस्या जस की तस यूहीं क्यो बनी हुई है तो इसके लिए खराब व्यवस्था को काफी हद तक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है पर पूरी तरहं नहीं। भारत में अकसर सुना जाता है कि हमारा बेटा सीईओ या कोई बड़ा अफसर बनेगा और वहीं युवओं के मुंह से सुना जाता है कि किसी अच्छी कंपनी में जाँब मिल जाए जहां मोटी तनख्वा मिले। पर शायद ही कभी कहा जाता हो कि मुझे एक व्यवसाय खोलना है।

 

अगर कोई युवा व्यवसाय खोलने की सोचता भी है तो उसको जौखिम का भय सताने लगता है। और अगर डर के आगे कदम बढाता भी है तो उसको कह देते है कि बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं जो कदम आगे बढाया था वो भी पीछे खीच लिया जाता है। इसी प्रकार यह दुष्चक्र चलता रहता है।

रिपोर्ट करती है चौंकाने वाला खुलासा

अब देखिए कि डुइंग बिजनेस संस्था की 2013 की रिपोर्ट से एक चौंकने वाला तथ्य सामने आया कि व्यवसाय खोलने या करने में हमारा भारत देश पूरी दुनिया में 134वें स्थान पर है। यह तथ्य भारतीय युवाओं की इच्छा शक्ति को बयान करता है और व्यवसाय शुरू करने की इच्छा शक्ति को भी और इसके साथ-साथ ये युवओं और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक शर्म की बात है।

रैंकिंग में जानिए बिजनेस शुरू करते हुए कितना डरते हैं हम- Report- 2013

कहना ना हो कि अगर युवा जोखिम से ना डर कर या कह सकते है कि निगेटीविटी से आगे आते हुए अपना खुद का व्यवसाय खोलते हैं तो उससे लाभ मिलने की संभावनाएं अधिक हो जाएंगी। इससे ज्यादा नही तो भारतीय अर्थव्यवस्था को ऊपर उठने में मदद मिलगी।हजारो-लाखो रोजगार उत्पन्न होंगे। दूसरा, जब रोजगार उत्पन्न होंगे तो महंगी हो चुकी शिक्षा का स्तर सुधरता जाएगा। ऐसा हुआ तो गरीबी भी काफी हद तक कम होगी ये तय है।

बेबाकी से कहा जाए तो यह भय वाली बात शहरी युवा वर्ग पर ज्यादा लागू होती है। और गांव के युवा पर उनके मुकाबले कम। क्योंकी बिहार, उत्तर-प्रादेश और उड़ीसा जैसे राज्यों के गांवो के युवाओं के पास साधन शहरी युवाओं के मुकाबले कम होते है. शहरी युवा के पास साधन होते हैं इसके साथ जागरुकता का दायरा भी गांव के युवा वर्ग के मुकाबले ज्यादा होता है। आज युवा वर्ग करीब 60 करोड़ के लगभग हैं अगर इन्होने ठान लिया तो पूरी अर्थव्यवस्था चमक सकती है।

अंत में यही लाईन कहीं ना कहीं सच को बयान करने वाली रखी जा सकती है कि-

"चींटी पहाड़ पर चढने की कोशिश करती है अंत में चढ जाती है,

English summary

Do you in fear of doing any business or big investment

Do you in fear of doing any business or big investment. after reading this, you will be moved out from this fear.
Company Search
Thousands of Goodreturn readers receive our evening newsletter.
Have you subscribed?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X