सावधान! तीसरा विश्व युद्ध शुरु हो चुका है!
हमारी एक धारणा है कि हम गोली, बंदूक, बम आदि के जरिए लड़ाई होने को ही युद्ध मानते हैं लेकिन 21वीं सदी में ये धारणा कहीं नहीं टिकती है।
दुनिया में तीसरा विश्व युद्ध शुरु हो चुका है, ये युद्ध कई स्तरों पर और कई सालों से लड़ा जा रहा है। हमारी एक धारणा है कि हम गोली, बंदूक, बम आदि के जरिए लड़ाई होने को ही युद्ध मानते हैं लेकिन 21वीं सदी में ये धारणा कहीं नहीं टिकती है। यहां दुश्मन किसी बंद कमरे में बैठकर सिर्फ उंगलियों के इशारे से किसी भी देश को तबाह करने की क्षमता रखता है। तीसरा विश्व युद्ध कई स्तरों पर लड़ा जा रहा है। चाहे वह आर्थिक रूप में हो या फिर किसी साइबर हमले की शक्ल में। विश्व युद्ध शुरु हो चुका है...
आर्थिक विश्व युद्ध
ये युद्ध भी कई स्तरों पर लड़ा जाता है। इस युद्ध में दुनिया में दुनिया के बड़े देश वैश्विक स्तर पर अपनी आर्थिक क्षमता को साबित करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। पहले के वक्त में ब्रिटेन, फिर अमेरिका और अब चीन ने ये जगह ले ली है। चीन इस क्षेत्र में ब्रिटेन और अमेरिका से कहीं आगे निकल गया है।
सस्ते सामान से दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना
चीन सस्ते सामान से दूसरे देश की अर्थ व्यवस्था को बड़ी ही तेजी से कमजोर कर रहे हैं। प्रकृति के अकूत भंडार और सस्ते श्रम का फायदा चीन ने दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने में बनाया। भारत इसका प्रबल उदाहरण है, चीन ने अपने सस्ते श्रम का उपयोग भारत के खिलाफ किया। भारत में आर्थिक रुप से कमजोर तबके और मध्यम वर्ग को चीन ने निशाना बनाया और उनके दैनिक इस्तेमाल की चीजें बेहद सस्ती दरों पर भारतीय बाजार में बेचने लगा।
डुप्लीकेसी से दूसरे देश के बाजार पर कब्जा करना
चीन ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू उपयोग की चीजों पर ज्यादा जोर दिया। बेहद सस्ते होने की वजह से देश में बनने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री घट गई। वहीं लोग कम दाम की वजह से चीन के प्रोडक्ट्स खरीदने लगे। चीन के सामान की सबसे ज्यादा डिमांड दीपावली के दौरान रहती थी, चीनी विद्युत उपकरण कम दाम पर लोग खरीद रहे थे। साल 2016 में चीन की इस डुप्लीकेसी के खिलाफ सरकार और जनता दोनों ही खड़े हो गए और चीन के सामान का सीधा बहिष्कार करना शुरु कर दिया था।
लोगों का जागरुक होना है जरूरी
भारत चीन सीमा पर बढ़ते तनाव के कारण देश के लोगों में चीन के रवैए को लेकर गुस्सा था और लोगों ने चीन के प्रोडक्ट्स खरीदने और बेचने में खुद को सीमित कर लिया। भारत के इस कदम से चीन तिलमिला उठा था और चीन के मुख पत्र ग्लोबल टाइम्स ने भारत के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल भी किया था। हालांकि भारत की तरफ से ऐसे बेतुके बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई थी। ये पहली बार था जब भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को चीनी फंफूद से बचाने के लिए जमीनी स्तर पर कोई कदम बढ़ाया था।
एंटी डंपिंग ड्यूटी से देश की इकोनॉमी को बचाना
चीन की घटिया सामग्री के खिलाफ जनता ने अपना काम कर दिया था। अब बारी थी सरकार की, सरकार ने चीन को सीधी चेतावनी दी और साफ किया कि वह भारत में अपने उत्पाद इस तरह से नहीं बेच सकता है। इसके लिए सरकार ने एंडी डंपिंग ड्युटी लगाई। भारत सरकार ने हाल ही में टायर पर एंडी डंपिंग ड्यूटी लगाई है जिससे भारत की टायर निर्माता कंपनियों को बड़ा लाभ मिला है। इसी तरह से सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब भारत दूसरे देशों के लिए भारत में व्यापार करने की वही नीति लागू करेगा जो दूसरे देश भारत के प्रति लागू करते हैं।
साइबर हमला
21वीं सदी में बम, बंदूक से उतना खतरा नहीं है जितना खतरा साइबर हमले से है। दुनिया के किसी में बैठा कोई व्यक्ति साइबर हमले के जरिए किसी देश की पूरी की पूरी अर्थ व्यवस्था को चौपट कर सकता है। हाल ही में हुए 'वानाक्राई रेनसम वेयर' के हमले से ये बात सिद्ध भी हो चुकी है। 'वानाक्राई रेनसमवेयर' ने एक वक्त में एक साथ भारत समेत दुनिया के 100 देशों पर साइबर हमला किया।
क्या है रेनसम वेयर
रेनसम वेयर या कहें कि फिरौती मांगने वाला वायरस बेहद खतरनाक होता है। इस वायरस के जरिए हैकर आपके कंप्यूटर और आपकी जरूरी फाइलों को 'किडनैप' कर लेते हैं बदले में आपसे फाइलें और सिस्टम छोड़ने के लिए आपको लाखों-करोड़ों में फिरौती देनी पड़ती है। ये फिरौती भी इनके ही अनुसार बिटक्वाइट में देनी होती।
कैसे करें बचाव
इससे बचने के लिए आपको बेहद सतर्क रहना होगा। अपने सिस्टम को अपडेट करते रहिए, उसका एंटी वायरस अपडेट करते रहिए साथ ही संदेहास्पद ई-मेल को कतई ओपन मत करिए। कुछ जरूरी सावधानियां आपका डाटा और पैसा दोनों बचा सकते हैं। फिर भी यदि आप इस वायरस के चपेट में आ जाते हैं तो आपको अपने सिस्टम को तुरंत बंद करके पुलिस की साइबर सेल में अपनी शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
भारत में कहां और कब हुआ साइबर हमला
'वानाक्राइ रेनसमवेयर' के जरिए भारत में कई स्थानों पर हमला हुआ है। इसमें प्रमुख रूप से आंध्रप्रदेश के पुलिस विभाग पर हमला हुआ था। जहां करीब 25 फीसदी कंप्यूटरों को मालवेयर के जरिए हैक कर दिया था। वानाक्राई रेनसम वेयर से सबसे ज्यादा खतरा विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम को रहता है। इसमें विंडोज एक्सपी प्रमुख है।
साइबर हमले से अर्थव्यवस्था को बड़ा खतरा
साइबर हमले से सबसे ज्यादा खतरा किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को होता है। ये वायरस इंटरनेट के जरिए जुड़े हुए बैंकिंग सेक्टर पर हमला बोल सकते हैं। इस तरह के हमले से बैंको में रखा आम आदमी का पैसा कभी भी गायब हो सकते हैं। इसके अलावा इंटरनेट से जुड़े रेल नेटवर्क, हवाई नेटवर्क आदि को भी बड़ा नुकसान पहुंच सकता है।
कभी भी हो सकता है इस तरह का हमला
इस तरह के हमले कभी हो सकते हैं और इस तरह के हमले से संभलने का बहुत कम मौका मिलता है। गौर करने वाली बात ये है कि विश्व के तमाम देश जानते हैं कि किसी भी देश से सामने की लड़ाई या फिर विश्वयुद्ध जैसी चीजें देशों को विकास के क्रम में दशकों पीछे धकेल सकते हैं। इस कारण से कई देश अपने प्रतिस्पर्धी देशों को डराने के लिए उन्हें लागातार युद्ध की धमकी देते हैं, जैसे अमेरिका और उत्तर कोरिया, भारत और पाकिस्तान चीन और अमेरिका, पाकिस्तान और अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान जैसे देश शामिल हैं।
भविष्य की भयावह तस्वीर
यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि दुनिया पर तीसरे विश्व युद्ध का बादल आखिर कैसे मंडरा रहे हैं और कैसे हम और आप इस युद्ध की विभीषिका में हर दिन झुलस रहे हैं। 100 देशों पर हुए साइबर हमले, मध्यपूर्व में पिछले 15 वर्ष से लगातार युद्ध, उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया में लगातार परमाणु युद्ध की बयानबाजी, भारत-पाकिस्तान के बीच रह-रह कर संघर्ष होना और परमाणु हमले की धमकी देना एक आने वाले वक्त की भयावह तस्वीर बयां करते हैं।