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पढ़ें H-1B वीजा से जुड़ी हर बात जो आप जानना चाहते हैं

H-1B वीजा के बारे में साथ ही, क्या शर्तें जुड़ी हैं H-1B वीजा को लेकर और क्या कठिनाइयां होंगी भारतीय युवाओं पर इसका कितना असर होगा सभी बिंदु विस्तार से यहां पढ़ें।

By Ashutosh
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अमेरिका की नई सरकार भारत के लिए कितनी मददगार साबित होगी ये तो भविष्य के गर्त में हैं लेकिन ये सरकार भारतीय युवाओं और उद्यमियों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कड़ी शर्तों के साथ H-1B वीजा से जुड़ा बिल पेश कर दिया है। ये बिल भारत के नौकरीपेश युवाओं और उद्यमियों के लिए बेहद घातक है, क्योंकि इस बिल की वजह से अमेरिकी कंपनियों को भारतीय युवाओं को नौकरी देने में काफी बाधाएं आएंगी।

आगे पढ़ें H-1B वीजा के बारे में साथ ही, क्या शर्तें जुड़ी हैं H-1B वीजा को लेकर और क्या कठिनाइयां होंगी भारतीय युवाओं पर इसका कितना असर होगा सभी बिंदु विस्तार से जानने के लिए आगे पढ़ें-

क्या है बिल में

क्या है बिल में

ट्रंप सरकार ने अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा में H-1B वीजा से संबंधित नया विधेयक पेश किया है। इसके तहत न्यूनतम 88 लाख रुपए यानि 1.30 लाख अमेरिकी डॉलर का सालाना वेतन पाने वाले व्यक्तियों को ही H-1B वीजा मिलेगा। पहले ये राशि 60 हजार डॉलर थी यानि कि करीब 40 लाख रुपए का सालाना वेतन पाने वाले व्यक्ति H-1B वीजा के हकदार थे लेकिन अब ऐसा नहीं है।

किसे होगा नुकसान

किसे होगा नुकसान

इस बिल से जितना नुकसान भारतीय युवाओं और उद्यमियों को होगा उतना ही नुकसान अमेरिकी कंपनियों को भी होगा। आपको बता दें कि अमेरिका का 65 फीसदी सॉफ्टवेयर कारोबार भारतीयों पर निर्भर है। इस बिल की वजह से अमेरिकी सॉफ्टवेयर बाजार में भारी गिरावट आ सकती है।

पति-पत्नि को वर्क वीजा नहीं
 

पति-पत्नि को वर्क वीजा नहीं

ये दुर्भाग्य की बात है कि भारत से यदि कोई कंपनी किसी प्रोजेक्ट के लिए पति और पत्नी दोनों को अमेरिका भेजना चाहे तो नहीं भेज सकती है। इस बिल की वजह से अब पति-पत्नी को वर्क वीजा नहीं मिल सकता है। वहीं भारतीय आईटी सेक्टर ने H-1B वीजा के आवेदन के लिए मास्टर डिग्री में छूट की मांग की है, ज्यादातर भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के पास मास्टर्स डिग्री ही होती है।

कितने वीजा देता है अमेरिका

कितने वीजा देता है अमेरिका

अमेरिका जाने वाले करीब 85 हजाक भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को अमेरिकी सरकार हर साल H-B वीजा देती है। इनमें से 20 हजार से अधिक युवा मास्टर्स डिग्री के लिए अमेरिका जाते हैं।

क्या है  H-1B वीजा

क्या है H-1B वीजा

H-1B वीजा रोजगार आधारित है और यह अमेरिकी कंपनियों को उच्‍च-क्षमता वाली नौक‍रियों के लिए विदेशी कामगारों की नियुक्ति में मदद करता है। कोई भी कंपनी या फर्म जो किसी विदेशी नागरिक को नौकरी ऑफर कर रही है, उसे कैंडीडेट के लिए अमेरिकी अप्रवासन विभाग में एच1बी वीजा के लिए आवेदन करना होता है। H-1B वीजा धारक अमेरिका में 3 से 6 वर्षों तक रह सकता है, वह स्‍थायी तौर पर अमेरिका के लिए मंजूरी हासिल कर सकता है और अमेरिका में प्रॉपर्टी खरीद और बेच भी सकता है।

कितना है H-1B वीजा का कैप

कितना है H-1B वीजा का कैप

वर्तमान समय में H-1B वीजा की कैप 65, 000 है और 20,000 H-1B वीजा उन लोगों के लिए होते हैं जिनके पास अमेरिका की यूनिवर्सिटीज की डिग्री होती है। कुल मिलाकर सीमा 85,000 होती है।

कब और क्यों शुरु हुआ H-1B पर विवाद

कब और क्यों शुरु हुआ H-1B पर विवाद

हाल ही में अमेरिका की कंपनी वॉल्ट डिज्नी ने अपने सभी कर्मचारियों को भारतीय आईटी कंपनी टीसीएस के कर्मचारियों से रिप्लेस कर दिया। इतनी बड़ी तादात में अमेरीकी और अन्य लोगों की नौकरी जाने से लोगों में डर और आक्रोश था। उसी दौरान मीडिया एजेंसी ब्लूमबर्ग ने इससे जुड़ी एक भावनात्मक स्टोरी की जिससे चिंगारी आग में तब्दील हो गई।

भारत पर कितना असर होगा

भारत पर कितना असर होगा

वीजा नियमों में हुए कड़े बदलाव का सबसे ज्यादा असर भारत के आईटी और फॉर्मा सेक्टर पर पड़ेगा। दोनों ही सेक्टर स्किल्ड और चीप लेबर मुहैया करते हैं साथ ही फॉर्मा सेक्टर का 60 फीसदी से ज्यादा दवाओं का निर्यात अमेरिका में होता है। भारत से सस्ते लेबर में तैयार की गई दवाइयां अमेरिका में बेहद कम दाम पर बिकती हैं वहीं सॉफ्टवेयर से जुड़ी अमेरिकी कंपनियां भारत से स्किल्ड आईटी प्रोफेशनल्स को हायर करतें हैं। अब नए निमय से भारतीय आईटी सेक्टर और फॉर्मा सेक्टर को ज्यादा नुकसान हो सकता है।

चीन पर कितना होगा असर

चीन पर कितना होगा असर

इस नए वीजा नियम का चीन पर ज्यादा असर नहीं होगा। चीन सेल्फ मैन्युफैक्चर देश है। चीन हर वो सामान अपने देश में बनाता, बेचता और निर्यात करता है जिसकी लोगों को जरूरत होती है। वहीं ऐसी संभावनाएं भी कम हैं कि भारतीय आईटी कंपनियां चीन की तरफ रुख करेंगी। क्योंकि पहली परेशानी भाषा को लेकर ही है चीन के लोग अपनी भाषा में की काम करना पसंद करते हैं, दूसरा कारण चीन पहले से ही चाइना फर्स्ट की नीति पर चल रहा है साथ ही चीन में सस्ता लेबर भी मौजूद है ऐसे में भारतीय आईटी कंपनियों के लिए चीन का रुख करना दल-दल में दौड़ने जैसा होगा।

2.36 लाख भारतीयों ने किया आवेदन

2.36 लाख भारतीयों ने किया आवेदन

86 फीसदी भारतीयों को सॉफ्टवेयर से जुड़े उद्योग के लिए H-1B वीजा दिया जाता है, वहीं 46.5 फीसदी युवाओं को इंजीनियरिंग के लिए H-1B वीजा दिया जाता है। इस आंकड़े के मुताबिक साल 2016 में करीब 2.36 लाख भारतीयों ने H-1B वीजा के लिए आवेदन किया था।

English summary

Trump New Visa Policy Not Suits to Indian IT Professionals

Donald Trump New Visa Policy does not suits India and Indian IT professionals. Know What Is The Major Impact Of H1B Visa and its news Rules On Indian IT And Americans, Read Full Story About Trump's News H-1B Visa Policy In Hindi
Story first published: Friday, February 3, 2017, 14:13 [IST]
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