ये 10 बड़े घोटाले ना हुए होते तो बदल जाती देश की तस्वीर!
हम आपको बताएंगे देश के 10 बड़े घोटालों के बारे में जिनके सामने आने के बाद देश चौंक गया। इनमें से कुछ घोटाले तो ऐसे हैं जो भूटान, मालदीव जैसे देशों के बजट से भी अधिक हैं।
8 नवंबर 2016 के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था। इसके पीछे खुद प्रधानमंत्री ने बताया कि ऐसे नोट बंद करने से देश में फैले भ्रष्टाचार में कमी आएगी और आगे चलकर देश एक पारदर्शी अर्थव्यवस्था में तब्दील हो सकता है। भ्रष्टाचार पर यह फैसला एक बड़ी चोट है पर देश में भ्रष्टाचार और घोटालों का लंबा इतिहास है जिन पर ना अब तक कोई बड़ी चोट हुई है और न ही कोई सख्त कार्रवाई। हम आपको बताएंगे देश के 10 बड़े घोटालों के बारे में जिनके सामने आने के बाद देश चौंक गया। इनमें से कुछ घोटाले तो ऐसे हैं जो भूटान, मालदीव जैसे देशों के बजट से भी अधिक हैं। कई बड़े अखबारों ने लिखा है कि इनमें से कुछ ऐसे घोटाले हैं जो अगर ना हुए होते तो देश की तस्वीर कुछ और ही होती।
2G स्पेक्ट्रम घोटाला (1 लाख 76 हजार करोड़ रुपए का स्कैम)
स्पेक्ट्रम घोटाला देश के इतिहास का शायद सबसे बड़ा घोटाला है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला 1 लाख 76 हजार करोड़ का बताया जाता है। उस दौरान टेलीकॉम मंत्री रहे ए राजा ने अलग-अलग कंपनियों को 2 जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस कौड़ियों के दाम में बेच दिए थे। इस नीलामी की वजह से सरकार को 39 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। कैग ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले में हुए नुकसान के बारे में रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद ए. राजा को मंत्री पद से हटा दिया गया था। इस घोटाले की आंच पीएमओ तक पहुंची और खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर जवाब दिया था। वहीं डीएमके सांसद कनिमोझी, दयानिधि मारन, पर भी इस घोटाले की गाज गिरी। यह घोटाला इतना व्यापक था कि इसमें नेता, मंत्री, अफरस, उद्योगपति, मीडियाकर्मी आदि तक लिप्त थे।
कोयला घोटाला (1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए का स्कैम)
अगर देखा जाए तो कोयला घोटाला देश का सबसे बड़ा घोटाला था। शुरुआती दौर में कोयला घोटाले को लेकर जो रिपोर्ट्स आईं थी उसकी राशि स्पेक्ट्रम घोटाले से 6 गुना ज्यादा थी। लेकिन बाद में सरकारी कंपनियों का नाम हटाने के बाद ये घोटाला 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए का निकला। अर्थात स्पेक्ट्रम घोटाले से 10 हजार करोड रुपए ज्यादा का घोटाला। शुरुआती रिपोर्ट में यह घोटाला 10 लाख करोड़ रुपए का बताया जा रहा था लेकिन बाद में जब सरकारी कंपनियों को इस लिस्ट से हटाया गया तो यह घोटाला 1.86 लाख करोड़ का निकला। इस घोटाले के बाद विपक्ष ने पीएम मनमोहन सिंह से उनका इस्तीफा मांग लिया था। जिस दौरान ये घोटाला हुआ था उस दौरान 2006 से 2009 के बीच कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था। आश्चर्य की बात तो ये है कि कोल ब्लाक आवंटन से जुड़ी फाइलें भी गायब हो गई थीं हालांकि बाद में 7 फाइलों का पता चला जिसे सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया।
चारा घोटाला (950 करोड़ रुपए का स्कैम)
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को लोग उनके चुटकी लेने के अंदाज से जानते हैं, उससे ज्यादा लोग लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले की वजह से जानते हैं। करीब 950 करोड़ के इस घोटाले में बिहार के एक नहीं बल्कि दो मुख्यमंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था। लालू यादव से पहले जगन्नाथ मिश्र को भी चारा घोटले की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था। चारा घोटाले की रिपोर्ट के मुताबिक पशुपालन विभाग ने 950 करोड़ रुपए का गबन किया था और जो पशु कभी थे ही नहीं उन पशुओं के नाम पर चारा, उपचार, दवाइयों के लिए भारी भरकम रकम आवंटित हुई थी। चारा घोटाले का ये खेल पुराना था लेकिन 1996 में यह गंदा खेल उजागर हो गया।
बोफोर्स घोटाला (40 मिलियन डॉलर का घोटाला)
देश में रक्षा मामलों की खरीद में यह शायद पहला घोटाला था। इस घोटाले ने 80 और 90 के दशक में देश की राजनीति को हिलाकर रख दिया था। 40 मिलियन डॉलर के इस घोटाले में, उस दौरान पीएम रहे राजीव गांधी का भी नाम आया था। हालांकि इस घोटाले में मुख्य आरोपी इटली के बिचौलिए ओत्तावियो क्वात्रोची को बनाया गया था। क्वात्रोची को डील में मुख्य आरोपी बनाया गया था लेकिन भारत सरकार उसे कभी भारत लाने में सफल नहीं हो पायी। 13 जून 2014 को इटली के मिलान शहर में क्वात्रोची की मौत हो गयी उसी के साथ बोफोर्स घोटालों के तमाम स्याह राज भी दफन हो गए।
कॉमनवेल्थ खेल घोटाला (70 हजार करोड़ का CWG स्कैम)
2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेलों का भव्य आयोजन हुआ था लेकिन उसके घोटालों के चर्चे पहले से ही अखबारों की सुर्खियों में आ गए थे। जितनी चर्चा खेलों को लेकर नहीं हुई उससे ज्यादा चर्चा कॉमनवेल्थ खेलों में हुए घोटालों को लेकर हुई। खेलो के आयोजन में हुए घोटालों की जांच के लिए बनी समिति ने पाया कि फर्जी कंपनियों को पेमेंट दिया गया है,साधारण से साधारण चीजें जैसे लिक्विड सोप डिस्पेंसर 9,379 रुपए की दर पर किराए पर लिए गए हैं। खेलों से कुछ जुड़े उपकरण उनके निर्धारित दाम से कई गुना ज्यादा दाम पर सिर्फ किराए पर लिए गए थे। इस घोटाले में सीधे तौर पर कॉमनवेल्थ खेलों की समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को जिम्मेदार मानते हुए गिरफ्तार किया गया था। कॉमनवेल्थ खेलों के घोटाले की कुल रकम 70 हजार करोड़ रुपए के आस-पास बताई जाती है।
टैक्स चोरी और कालाधन शोधन घोटाला (50 हजार करोड़ का घोटाला)
इस मामले में पुणे के एक मशहूर व्यापारी हसन अली को गिरफ्तार किया गया था। हसन अली पर टैक्स चोरी और हवाला के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। आयकर विभाग के अनुसार हसन अली और उसके सहयोगियों के पर 71 हजार 845 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया था। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की पूछताछ में हसन अली ने बताया कि उसके अकाउंट में जमा हजारो करोड़ रुपयों में से एक बड़ा हिस्सा देश के कुछ बड़े नेताओं और नौकरशाहों का है, उसने बताया कि इन नेताओं में महाराष्ट्र के पूर्व तीन मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। हालांकि ईडी ने किसी भी नेता या नौकरशाह के नाम का खुलासा नहीं किया है। 2005-06 की बैंक स्टेटमेंट के अनुसार हसन अली खान के बैंक में 2 अरब डॉलर रुपए जमा थे।
आदर्श हाउसिंग घोटाला
कारगिल युद्ध के जवानों और उनकी विधवाओं के लिए मुंबई में आदर्श कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी बनी थी। लेकिन यहां भी हमारे देश के नेता घोटाला-घपला करने से नहीं चूके, अशोक चव्हाण उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने अपने रिश्तेदारों को बहुत ही कम दाम पर ये घर दे दिए। सिर्फ वही नहीं, कई दूसरे नेता, मिलिट्री अधिकारी और अफसरों ने जम कर इन घरों की खरीदफरोख्त की। पूर्व आर्मी चीफ जनरल दीपक कपूर और एनसी विज, नेवी चीफ एडमिरल माधवेन्द्र सिंह और वाईस-चीफ जनरल शांतनु चौधरी को भी इस सोसाइटी में घर मिले। जबकि यह घर करगिल युद्ध के जवानों और उनकी विधावाओं के लिए था।
स्टैम्प पेपर घोटाला
स्टैम्प पेपर घोटाला शायद भारत के इतिहास का सबसे अजीब घोटाला था। अब्दुल करीम तेलगी जो फल-सब्ज़ियां बेचा करता था, उसने नकली स्टैम्प पेपर छाप कर करोड़ों का घपला किया। तेलगी पहले नकली पासपोर्ट बना कर लोगों को ठगता था, फिर उसने नकली स्टैम्प पेपर छाप कर बैंक, बीमा कंपनियों, विदेशी निवेशकों और शेयर ब्रोकिंग कंपनियों को बेचे। इस घोटाले की वजह से तेलगी ने 12 राज्यों में 20,000 करोड़ रुपयों की धोखाधड़ी की। इस घोटाले में तेलगी का साथ दिया पुलिस और सरकारी अफसरों ने। नार्को टेस्ट में साबित हुआ कि शरद पवार और छगन भुजबल जैसे दिग्गज नेता भी इस घोटाले में मिले हुए थे। तेलगी को 2007 में 13 साल की कड़ी सज़ा हुई और 202 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगा। तेलगी के 42 साथियों को भी 6 साल की सजा हुई थी।
आपको बता दें कि हाल ही में नकली स्टैंप पेपर घोटाले में शामिल अब्दुल करीम तेलगी की बेंगलुरु के एक अस्पताल में मौत हो गई। विक्टोरिया अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक तेलगी की हालत कई दिनों से गंभीर चल रही थी और इसकी वजह से उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया था।
सत्यम घोटाला
कॉर्पोरेट जगत का ये शायद सबसे बड़ा घोटाला था जिसकी वजह से सत्यम कम्प्यूटर्स के चेयरमैन रामालिंगा राजू को इस्तीफा देना पड़ा और बाद में उन्हें जेल भी हुई। राजू ने अपनी कंपनी की बैलेंस शीट में घपला करना शुरू किया और प्रॉफिट बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना शुरू किया। फलस्वरूप, सितम्बर 2008 के अंत में सत्यम कम्प्यूटर्स की बैलेंस शीट थी 5,361 करोड़ रुपए लेकिन कंपनी की कुल रकम 300 करोड़ रुपए ही थी।
ऑगस्टा वेस्टलैंड घोटाला
भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड के साथ साल 2010 में किए गए 3 हजार 600 करोड़ रुपए के करार को जनवरी 2014 में भारत सरकार ने रद्द कर दिया था। इस करार में 360 करोड़ रुपए के कमीशन के भुगतान का आरोप लगा। कमीशन के भुगतान की खबरें आने के बाद भारतीय वायुसेना को दिए जाने वाले 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की सप्लाई के करार पर सरकार ने फरवरी 2013 में रोक लगा दी थी। जिस वक्त करार पर रोक लगाने का आदेश जारी किया गया उस वक्त भारत 30 फीसदी भुगतान कर चुका था और तीन अन्य हेलीकॉप्टरों के लिए आगे के भुगतान की प्रक्रिया चल रही थी। इटली की एक अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए माना कि इस डील में घोटाला हुआ था। इस मामले में पूर्व वायुसेना प्रमुक एसपी त्यागी का नाम आने के बाद अब उन्हें सीबीआई की रिमांड पर भेज दिया गया है। वहीं यह भी बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस डील में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अहम भूमिका निभा रही थीं।