जानिए इस हफ्ते कैसा रहेगा शेयर बाजार का रुख
मुम्बई। शेयर बाजारों में आगामी सप्ताह निवेशकों की निगाहें अग्रिम कर की चौथी किस्त के भुगतान पर रहेगी, जिसकी आखिरी समय सीमा 15 मार्च है। इसके साथ ही निवेशक महंगाई दर और औद्योगिक उत्पादन से सम्बंधित आंकड़ों पर भी नजर टिकाए रहेंगे। अग्रिम कर की चौथी किस्त के भुगतान से मौजूदा कारोबारी साल की चौथी तिमाही में कम्पनियों के परिणाम का एक अनुमान लगेगा।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) मंगलवार 12 मार्च को जनवरी 2013 के लिए औद्योगिक उत्पादन का आंकड़ा प्रस्तुत करेगा। सीएसओ इसी दिन फरवरी 2013 के लिए उपभोक्ता महंगाई के आंकड़े भी प्रस्तुत करेगा। सीएसओ फरवरी महीने के लिए ही थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े गुरुवार 14 मार्च को जारी करेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 19 मार्च को की जाने वाली मध्य तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा को देखते हुए भी ये आंकड़े महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनसे रिजर्व बैंक के भावी रुख का कुछ पता चलेगा। अगले कुछ महीनों तक हालांकि शेयरों में अधिक उछाल की उम्मीद नहीं की जा सकती है, क्योंकि बाजार में शेयरों की बाढ़ आने वाली है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निजी और सरकारी कम्पनियों को प्रमोटरों की हिस्सेदारी घटाने और आम नागरिकों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए निर्देश दिए हैं, जिसके कारण प्रमोटरों को बड़ी संख्या में बाजार में शेयरों को उतारना होगा।
सेबी के निर्देश के मुताबिक निजी कम्पनियों में आम नागरिकों की न्यूनतम हिस्सेदारी कम से कम 25 फीसदी और सरकार कम्पनियों में आम लोगों की न्यूनतम हिस्सेदारी कम से कम 10 फीसदी होनी चाहिए। निजी कम्पनियों के लिए यह लक्ष्य 13 जून तक और सरकारी कम्पनियों के लिए यह लक्ष्य 13 अगस्त तक हासिल करने की समय सीमा तय की गई है। कारोबारी साल 2013-14 में कम्पनियों में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री की वजह से भी शेयरों पर नकारात्मक असर होगा। सरकार ने 2013-014 में सरकारी कम्पनियों में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री कर 40 हजार करोड़ रुपये जुटाने और निजी कम्पनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 14 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
सरकार संसद के चालू बजट सत्र में कई विधेयकों को ला सकती है। ऐसे प्रमुख विधेयकों में शामिल हैं फारवार्ड कंट्रैक्ट्स (नियमन) संशोधन विधेयक-2010, पेंशन फंड रेगुलेटर एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी विधेयक-2011, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुस्र्थापना विधेयक-2011, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक-2011 और बीमा कानून (संशोधन) विधेयक-2008। इन विधेयकों को संसद में लाने से भी कई शेयरों की चाल प्रभावित हो सकती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।