आधार कार्ड: क्या वाकई में यह जरूरी है, या नहीं?
वर्तमान में आधार कार्ड सबसे विवादास्पद सरकारी दस्तावेजों में से एक है, जिसको निरस्त करने लिए आवाज़ उठाई जा चुकी है और कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार द्वारा आधार कार्ड को पूर्णतः निरस्त कर देने की भी बात कही गयी थी। इस वर्ष के आरंभ में सर्वोच्च न्यायलय ने निर्णय लेते हुए, केंद्र सरकार को आधार कार्ड को अनिवार्य बनाकर सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने संबंधित सभी सूचनाएं तत्काल वापस लेने का निर्देश दिया है।
सर्वोच्च न्यायलय खंडपीठ ने कार्ड धारक की अभिव्यक्त सहमति के बिना किसी भी एजेंसी के साथ आधार कार्ड धारक की बायोमीट्रिक या अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी को साझा न करने के निर्देश यू आई डी ए आई को दिए हैं।
वास्तव में आधार परियोजना के संसदीय अनुमोदन न होने के कारण आधार कार्ड का सार्वजनिक सेवाओं में उपयोग एवं इसकी वैधता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। अब सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है की आधार कार्ड संख्या एलपीजी सिलेंडर की सब्सिडी राशि के हस्तांतरण के लिए अनिवार्य नहीं है। रसोई गैस (DBTL) का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के तहत एक बैंक खाता उपलब्ध कराने का विकल्प भी उपलब्ध है।
डुप्लीकेट या खोए हुए आधार कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?
स्पष्ट जानकारी के अभाव में जिन लोगों ने आधार कार्ड नहीं बनवाया है उनमें आधार कार्ड बनवाने या न बनवाने की कशमकश जारी है। आधार कार्ड का उपयोग पता-प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के रूप में किया जा सकता है । यह विशेषकर उन लोगों के लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस एवं पारपत्र जैसे दूसरे पहचान पत्र नहीं हैं ।
लेकिन, इसके और भी गुप्त फायदे हैं। डीएनए की रिपोर्टों के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने प्रमाण पत्र और डिग्री जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़, जो की किसी भी नौकरी एवं अन्य सेवाओं के लिए आवेदन हेतु आवश्यक होते हैं, के लिए एक आधार कार्ड से जुडी हुई ऑनलाइन रिपोजिटरी विकसित की है।
यह "महा डिजिटल लॉकर" किसी भी प्रकार के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और संपत्ति के प्रमाण पत्र को वास्तविक रूप में साथ रखने की परेशानी को समाप्त कर देगा। भविष्य में ना जाने ऐसी कितनी ही आधार कार्ड से संबंधित परियोजनाएं कार्यान्वित हों इस से हम सभी अनिभिज्ञ हैं।
आधार कार्ड के साथ असली मुद्दा
आधार कार्ड का असली मुद्दा लोगों द्वारा उठाया गया चिंताजनक विषय था कि कहीं अवैध अप्रवासी आसानी से आधार कार्ड की नक़ल उतार कर भारत में कानूनी रूप से वैध दर्ज़ा न हथिया लें । आधार कार्ड को वैधता प्रदान करने के लिए एक विधेयक प्रस्तुत किया गया था परन्तु स्थायी संसदीय समिति ने दिसम्बर 2011 में राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण भारत विधेयक का यह मसौदा अस्वीकार कर दिया था। इसके अस्वीकार होने का कारण, उद्देश्य की अस्पष्टता और गैर-नागरिकों का समावेश था। इसके अतिरिक्त समिति ने यह भी विचार किया कि कई कार्ड बनाने की आवश्यकता को आधार कार्ड उपलब्ध करा कर दूर नहीं किया सकेगा। डाटा चोरी और सेवाओं को नियमित रूप से बनाए रखने की लागत भी आधार कार्ड की दूसरी बड़ी समस्याओं में से एक है।
बॉयोमीट्रिक्स के संबंध में भी कुछ परेशानियां हैं। कई विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम सामग्री का प्रयोग करके उँगलियों के निशान दोहराना संभव है और इस प्रकार कोई भी व्यक्ति विशेष अपने सही क्रेडेंशियल होने के उपरान्त भी बिना किसी मिलान के परेशानी में पड़ सकता है।
परियोजना को नियमित बनाए रखने में आने वाली लागत का भी अब ज्ञान हो गया है। वास्तव में आधार कार्ड को एक कानूनी रूप से वैध दस्तावेज बनाने में असमर्थता भी एक समस्या है। 3000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि पहले से ही यू आई डी ए आई (आधार) परियोजना पर खर्च की जा चुकी है।